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कांग्रेस ने आचार संहिता के उलंघन का मामला दर्ज करने की मांग उठाई।
लोकसभा चुनाव 2024 के परिप्रेक्ष्य में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव आज हरियाणा के लोकसभा क्षेत्र गुडगांव के रेवाडी जिले के कौसली कस्बा में प्रचार करने पहुंचे थे, जहां उन्होंने धर्म के नाम पर वोट मांगते हुये कांग्रेस पार्टी के लोगों को हरामी जैसे शब्दों को अपने भाषण में बोलकर आपत्तिजनक, अशोभनीय और अमार्यादित भाषा का उपयोग किया है। एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति द्वारा इस तरह की जनभावनाओं पर ठेस पहुंचाने वाली भाषा चुनाव आदर्श आचार संहिता का घोर उल्लंघन हैं। कांग्रेस ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर मांग की है कि धर्म के नाम पर वोट मांगने और कांग्रेसजनों के प्रति अमर्यादित भाषा का उपयोग करने पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को लोकसभा चुनाव के प्रचार-प्रसार पर रोक लगायी जानी चाहिए। वहीं मुख्यमंत्री द्वारा हरामी जैसे शब्दों का उपयोग करने पर उनके विरूद्व प्रकरण दर्ज कर कार्यवाही की जानी चाहिए। प्रदेश कांग्रेस के चुनाव आयोग कार्य प्रभारी जे.पी. धनोपिया ने पत्र में कहा है कि विगत 15 मई, 2024 को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने हरियाणा में गुडगांव लोकसभा क्षेत्र के रेवाडी जिले के कौसली कस्बा में चुनावी आमसभा को संबोधित करते हएु भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में प्रचार किया एवं आमसभा में अपने भाषण में उन्होनेे खुलकर धर्म का दुरूपयोग किया भगवान राम के नाम पर मतदाताओं से वोट मांगे और इतना ही नहीं उन्होंने अपने भाषण में कांग्रेस पार्टी के प्रति अपशब्दों का प्रयोग करते हुए कहा कि राम मंदिर बनने पर खुशी तो जाहिर की लेकिन उनकी छाती पर सांप लौट रहे थे, जब मंदिर बन गया तो कहने लगे हमारे राम, तुम्हारे राम, आओं बेटा लेकिन तुमने तो हरामीपन किया है, अब जनता तुम्हारा हिसाब करेगी और कांग्रेस को वोट नहीं देंगी। जो संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को शोभा नहीं देता। धनोपिया ने कहा कि पत्र के माध्यम से निर्वाचन आयोग से मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष श्री जितेन्द्र (जीतू) पटवारी द्वारा निवेदन किया गया है कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा लोकसभा चुनाव के प्रचार में भगवान राम के नाम का उपयोग करते हुए धर्म का दुरूपयोग किया है एवं कांग्रेस पार्टी के प्रति मतदाताओं में नफरत फैलाने के उद्देश्य से जहरीला भाषण दिया है, एवं कांग्रेस पार्टी के नेताओं को हरामी जैसे शब्दों का प्रयोग करते हुए गालियां दी हैं, जो सरासर प्रभावशील आदर्श आचार संहिता का खुला उल्लंघन है।
