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मध्यप्रदेश

हाई कोर्ट ने कनिष्ठ पुलिस अधिकारियों को ग्रेडेशन लिस्ट में वरीयता देने को अवैधानिक बताया

जबलपुर। हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में साफ किया वरिष्ठता को नजरंदाज करते हुए कनिष्ठ पुलिस अधिकारियों को ग्रेडेशन लिस्ट में वरीयता देना पूर्णत: अवैधानिक है। न्यायमूर्ति जीएस अहलूवालिया की एकलपीठ ने इस टिप्पणी के साथ शासन के उस आदेश को निरस्त कर दिया जिसमें एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के स्थान पर उनसे कनिष्ठ दो पुलिस अधिकारियों को ग्रेडेशन सूची में वरीयता दे दी गई।

हाई कोर्ट ने प्रमुख सचिव गृह व डीजीपी को निर्देश दिए कि ग्रेडेशन लिस्ट 2014 याचिकाकर्ता पुलिस अधिकारी एआईजी राजेंद्र कुमार वर्मा को वरिष्ठता प्रदान करें। वहीं मुख्यमंत्री सुरक्षा भोपाल में पदस्थ अजय पांडे और तत्कालीन एडीशनल एसपी जबलपुर डा. संजय कुमार अग्रवाल को याचिकाकर्ता से कनिष्ठ वरीयता क्रम में रखें। हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को वरिष्ठता के सभी अपेक्षित लाभ भी प्रदान करने के निर्देश दिए।

वरिष्ठता को किया गया नजरअंदाज

भोपाल में पदस्थ एआइजी राजेंद्र कुमार वर्मा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एलसी पटने व अभय पांडे ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि गृह सचिव ने 17 नवंबर, 2016 को एक आदेश जारी कर वर्मा की जगह अजय पांडे व संजय अग्रवाल को वरिष्ठता दे दी थी। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता वर्मा की पदस्थापना 29 सितंबर, 1997 को एएसपी के पद पर हुई थी। वहीं अन्य दो अधिकारियों की पदस्थापना 1998 में हुई थी। इसके बावजूद याचिकाकर्ता की वरिष्ठता को नजरंदाज करते हुए कनिष्ठ दोनों अधिकारियों को ग्रेडेशन लिस्ट में वरीयता दे दी।

पुलिस अधिकारियों पर 25-25 हजार का जुर्माना लगाया

हाई कोर्ट ने पुलिस अधिकारी अजय पांडे व संजय अग्रवाल पर 25-25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। दोनों अधिकारियों को जुर्माने की राशि एक माह में हाई कोर्ट रजिस्ट्री में जमा कराने के निर्देश दिए गए हैं। याचिकाकर्ता उक्त राशि को राशि को लेने के लिए पात्र होगा। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि निर्धारित अवधि में जुर्माने की राशि जमा नहीं कराने पर रजिस्ट्रार जनरल उसकी रिकवरी की कार्रवाई करें और अवमानना का प्रकरण भी दर्ज करें।

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