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मध्यप्रदेश

जनसुनवाई में रुचि नहीं रखते पुलिस अफसर

शिवराज शासन में शुरू हुई पुलिस जनसुनवाई सुस्त नजर आने लगी है। अफसर जनसुनवाई में खास रुचि नहीं रखते हैं। प्रति मंगलवार आयुक्त कार्यालय में होने वाली जनसुनवाई में एसीपी, एडीसीपी का आना अनिवार्य है। आयुक्त मकरंद देऊस्कर और अतिरिक्त पुलिस आयुक्त मनीष कपूरिया भी आवेदकों को सुनते हैं। अब चुनाव संपन्न होने के बाद जनसुनवाई पुन: शुरू तो हुई मगर वो असर नहीं दिखा। बड़े अफसर आए और चले गए। इक्के-दुक्के अफसर बैठे और टकटकी लगाए 1 बजने का इंतजार करते रहे। इस सुस्ती से आवेदक भी परिचित हो चुके हैं। जनसुनवाई से हताश आवेदक सीधे पुलिस आयुक्त से मिलना चाहते हैं। आलम यह कि जितने लोग जनसुनवाई में पहुंचे उससे ज्यादा आयुक्त के केबिन के बाहर खड़े रहे। डीसीपी कार्यालयों में भी ऐसे दृश्य आम हैं।

सरकार बदल गई… हम भी जाने वाले हैं

शिवराज सरकार में पदस्थ हुए अफसर तबादले के इंतजार में हैं। मोहन सरकार ने भले ही हटाने को नहीं कहा लेकिन अफसर स्वत: जाने का मन बना चुके हैं। सबसे ज्यादा सुगबुगाहट आइपीएस लाबी में है। हालांकि ज्यादातर पोस्टिंग नई है। पुलिस आयुक्त मकरंद देऊस्कर तो एडीजी हैं और शिवराजसिंह चौहान के पसंदीदा अफसर हैं। उन्होंने खुद ही जाने की इच्छा जाहिर कर दी। अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (कानून व्यवस्था) मनीषा कपूरिया जनवरी में आइजी बन जाएंगे लेकिन इसी माह उनका रिटायरमेंट भी है। डीसीपी (अपराध) निमिष अग्रवाल, डीसीपी (ट्रैफिक) मनीष अग्रवाल डीआइजी बनने वाले हैं। एसएसपी होने के बाद भी दोनों अफसर डीसीपी (एसपी) के रूप में काम कर रहे हैं। राज्य पुलिस सेवा से भारतीय पुलिस सेवा में गए पुराने अफसरों ने इन अफसरों की जगह आने की कोशिश शुरू कर दी है। हालांकि डीजीपी और इंटेलिजेंस की तरफ से ऐसा कोई संदेश नहीं आया कि उन्हें जाने की तैयारी कर लेना चाहिए।

साहब के नोटिस लेकर घूम रहे आवेदक

राज्य पुलिस सेवा से भारतीय पुलिस सेवा में आए साहब ने आवेदकों को उलझा दिया। लोग उनके कार्यालय से जारी नोटिस लेकर इस दफ्तर से उस दफ्तर चक्कर लगा रहे हैं। एडीसीपी रहते साहब ने निजी विवादों की जांचें खोल दी। आवेदक-अनावेदक से मिलीभगत कर दोनों पक्षों को नोटिस जारी किए बल्कि कथन भी ले लिए। जैसे ही नए साहब की एंट्री हुई सबसे पहले उन नस्तियों को ठिकाने लगाया जिनमें एडीसीपी रुचि ले रहे थे। दर्जनों आवेदन और नस्तियां संबंधित थानों को भेज दी। गड़बड़ी से अनजान आवेदक वरिष्ठ अफसरों के पास पहुंचे और बताया कि जो नस्ती थाने भेजी उसमें तो एडीसीपी कथन ले चुके थे। उनके पक्ष में रिपोर्ट तैयार कर कायमी करने का आश्वासन मिला था। कुछेक ने यह कहा कि साहब ने स्वयं जांच कर शिकायती आवेदन को नस्तीबद्ध करने का वादा किया था। इन प्रकरणों की डीसीपी स्वयं निगरानी कर रहे हैं।

सुस्त ऊर्जा डेस्क को काम पर लगाया

पुलिस मुख्यालय के आदेश पर थानों पर ऊर्जा डेस्क तो बनाई लेकिन काम कुछ और होता था। महिलाओं की फरियाद सुनने के लिए 32 थानों पर बनी ऊर्जा डेस्क पर महिला पुलिसकर्मियों की पोस्टिंग की गई थी। हालांकि परेशान महिलाओं-युवतियों को महिला थाने ही जाना पड़ रहा था। आयुक्त मकरंद देऊस्कर ने क्षेत्रों में घटित अपराधों की समीक्षा कर सृजन-नई दिशा, नया गगन की शुरुआत करवा दी। तय किया कि ऊर्जा डेस्क पर पदस्थ महिला पुलिसकर्मी क्षेत्र में भ्रमण करेगी और युवतियों के सतत संपर्क में भी रहेगी। अलग-अलग ग्रुप बना कर उनसे वार्तालाप करती रहेगी। संपर्क के नाम पर खानापूर्ति न हो इसके लिए महिला थाना प्रभारी प्रीति तिवारी को नोडल अधिकारी बना दिया। महिला सुरक्षा एडिशनल डीसीपी प्रियंका डुडवे स्वयं निगरानी करेंगी। आयुक्त की पहल कारगर होती है या नहीं यह तो वक्त बताएगा लेकिन खाली बैठी महिला पुलिसकर्मियों को काम पर तो लगा ही दिया है।

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