ब्रेकिंग
मुरैना के सबलगढ़ में जमीनी विवाद में चले लाठी-डंडे फायरिंग एक गंभीर घायल गुजरात के खेड़ा जिले में नहाने गए छह भाई-बहन, एक-एक कर के लील गई नदी, गर्मी से राहत की जगह मिली मौत उज्जैन स्लीपर बस पलटी गर्भवती महिला सहित 9 घायल केंद्र सरकार कराऐगी जाति जनगणना PCC चीफ ने कहा, DGP का आदेश खाकी वर्दी का अपमान सांसद-विधायक को सैल्यूट करेगें पुलिस कर्मी, ये लोकतं... सीएम बोले- पाकिस्तानी नागरिकों को एमपी से जल्द बाहर करें: पुलिस अधिकारियों को अभियान चलाने के निर्दे... मंदसौर में तेज़ रफ़्तार कार कुऐ में गिरी 6 लोगों की मौत केंद्र सरकार का एक और सख्त फैसला, पाकिस्तानी हिंदुओं की चारधाम यात्रा पर रोक कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा ने अमित शाह को बताया शिव अवतार, बयान पर मचा बवाल, कांग्रेस-बीजेपी आमने-साम... केंद्र सरकार का बड़ा ऐलान: पाकिस्तानी हिन्दु , सिखो का वीजा रद्द नहीं होगा
मध्यप्रदेश

MPPSC Exam: राज्य सेवा परीक्षा में पूछे प्रश्नों के दिए गए उत्तर सही थे या गलत, सुप्रीम कोर्ट ही तय करेगा

इंदौर। राज्य सेवा भर्ती प्रारंभिक परीक्षा में पूछे गए दो प्रश्नों के जो विकल्प प्रश्न पत्र में दिए गए थे वे सही थे या गलत, इसका निर्णय सुप्रीम कोर्ट ही करेगी। यह कहते हुए हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने प्रश्नों के विकल्प को चुनौती देते हुए प्रस्तुत तीन दर्जन से ज्यादा याचिकाएं एक साथ निराकृत कर दी। पीएससी ने कोर्ट में आश्वासन दिया कि सुप्रीम कोर्ट में चल रही याचिका का जो भी परिणाम होगा वह सभी अभ्यर्थियों पर लागू किया जाएगा।

गौरतलब है कि राज्य सेवा भर्ती प्रारंभिक परीक्षा में दो प्रश्नों के विकल्प को लेकर विवाद है। एडवोकेट विभोर खंडेलवाल ने बताया कि परीक्षा में पूछा गया था कि भारत छोड़ो आंदोलन कब शुरु हुआ था और मप्र चुनाव आयोग का गठन कब हुआ था। इन दोनों प्रश्नों के चार-चार विकल्प दिए गए थे। बाद में पीएससी ने इन चारों विकल्पों को गलत बताते हुए प्रश्न विलोपित कर दिए।

मामले में अलग-अलग याचिकाएं दायर हुई थी

इस मामले को लेकर अलग-अलग याचिकाएं हाई कोर्ट की विभिन्न खंडपीठों के समक्ष प्रस्तुत हुई। इसमें कहा था कि दोनों प्रश्नों के दिए गए चारों विकल्पों में से एक उत्तर सही है। इसलिए प्रश्नों को विलोपित नहीं किया जा सकता। जबलपुर में एकल पीठ ने एक याचिका का निराकरण करते हुए अभ्यर्थी को मुख्य परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दे दी थी। इस फैसले को शासन ने युगलपीठ के समक्ष चुनौती दी, जहां से शासन को राहत मिल गई। इस पर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया जहां वर्तमान में वह लंबित है।

इधर इंदौर खंडपीठ में भी तीन दर्जन से ज्यादा याचिकाएं इस संबंध में प्रस्तुत हुई थी। पीएससी का इन याचिकाओं मेंं कहना था कि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है इसलिए याचिकाएं निरस्त की जाएं। हाई कोर्ट ने याचिका निरस्त करने से इंकार करते हुए निराकृत की है। अब सुप्रीम कोर्ट में होने वाले फैसले का फायदा सभी याचिकाकर्ताओं को मिलेगा।

Related Articles

Back to top button