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मिलिये मोहम्मद रफी के इस दीवाने से Mohd Rafi की कार विजिटिंग कार्ड उपहार 5 हजार गीतों टेलीफोन के साथ फोटो का कलेक्शन बना इस प्रशंसक की पहचान

महानतम गायक मोहम्‍मद रफी के यूं तो हजारों दीवाने हैं लेकिन एक दीवाना ऐसा है जिसका अंदाज औरों से जुदा है। रफी की दीवानगी में यह शख्‍स वह सब कर गुज़रा जो दीवानगी करा सकती है। आज रफी साहब की 40वीं पुण्‍यतिथि है और इस व्‍यक्ति को रफी भक्ति में 30 से अधिक बरस हो चुके हैं। लखनऊ निवासी संजीव कुमार दीक्षित की पहचान पूरे देश में रफी के अनन्‍य प्रशंसक के तौर पर है। वर्ष 1988 से वे रफी के दीवाने हैं। उन्‍होंने अपनी इस यात्रा में संचार और प्रचार माध्‍यमों को बखूबी साथी बनाया है। उस दौर में वे तब के अखबार, पत्रिकाएं संजोते थे। उनकी कटिंग्‍स आज भी उनके कलेक्‍शन में शामिल हैं। गुजरते दौर के साथ हर नई टेक्‍नोलॉजी में वे अपने रफी प्रेम को प्रकट करने के तरीके तलाशते हैं। Mohd Rafi के लाखों दीवानों में यह शख्‍स ऐसा है जिसने रफी की दीवानगी को अलग ही मुकाम पर पहुंचा दिया है। आज से दस साल पहले जब सोशल मीडिया और व्‍हाट्सऐप चलन में ना के बराबर था तब वे गूगल की शार्ट इंफो सर्विस का उपयोग लोगों को SMS भेजने में करते थे। साल के 365 दिनों तक रोज कुछ ना कुछ वार, त्‍योहार, पर्व आदि रहता है। इससे जुड़े रफी के गीतों में से वे मिलते जुलते उदाहरण तलाशकर लाते और इस मैसेज सर्विस से उस गीत के बोलों को लोगों को भेजते थे। रफी साहब की कार का जो नंबर था, वही नंबर इन्‍होंने अपनी कार का रखा है।

कलेक्‍शन में यह सब, मोबाइल की कॉलर टोन में रफी का गीत, बनाया रफी का मंदिर

पेशे से गणित के शिक्षक संजीव दीक्षित के पास रफी साहब से जुड़ी निजी चीजों का दुर्लभ व बेशकीमती संग्रह है। वे रफी साहब के छोटे बेटे शाहिद रफी, उनके छोटे दामाद परवेज़ से कई मुलाकातें कर चुके हैं। उनके परिवार से निजी तौर पर जुड़े रहते हैं और संवादरत रहते हैं। उनके कलेक्‍शन में रफी साहब का विजिटिंग कार्ड, उनकी कार के साथ खिंचाई तस्‍वीर, उनका टेलीफोन इंस्‍ट्रूमेंट, रफी के 5000 से अधिक गीतों का कलेक्‍शन आदि शामिल हैं। वे रफी के जन्‍मस्‍थान अमृतसर के गांव कोटला सुल्‍तानसिंह जाकर वहां मिट्टी माथे पर लगा चुके हैं। रफी को भारत रत्‍न दिलाए जाने का अभियान एक दशक से देश भर में चला रहे हैं।

रफी साहब की समाधि पर भी पुष्‍प अर्पित करते रहे हैं। जिस अस्‍पताल में रफी साहब का निधन हुआ, वे वहां भी जा चुके हैं। उनके मोबाइल नंबर में भी उन्‍होंने रफी जन्‍मतिथि 24.12.1924 के अंकों को शामिल किया है और स्‍वयं की कार का नंबर भी उन्‍होंने इन्‍हीं अंकों को जोड़कर बनवाया है। उनके मोबाइल की कॉलर टोन में भी रफी का गीत बजता है और वे रफी आधारित कई WhatsApp Group चलाते हैं।

हर साल वे 24 दिसंबर को रफी का जन्‍मदिन मनाते हैं, केक काटते हैं और बांटते हैं। उन्‍होंने बकायदा रफी साहब का मंदिर Rafi Temple बनाया है जिसे लेकर वे पूरे देश भर की मीडिया में कई बार सुर्खी बन चुके हैं। उनके इस रफी प्रेम को देखकर रफी साहब के परिजन एवं देश भर के रफी प्रशंसक अभिभूत हैं।

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