मध्यप्रदेश
भाग्यवान घरों में होता हैं बेटियों का जन्म…रामनरेश शर्मा सरपंच बरबाई


यह बात सरपंच बरबाई रामनरेश शर्मा ने कही। उन्हौने आज बेटी दिबस पर अपनी पचायत के मजरा गोहदूपुरा में बेटी बचाओ बेटी पढाओ कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि अपने घर आंगन को कोई भी माता-पिता कुंवारा नहीं रहने दें। अपनी बेटी नहीं हो तो गरीब के घर की बेटी खुशी के साथ कन्यादान करें। बेटियां ही माता-पिता के जीवन भर का स्वाभिमान होती है। बेटियों के कारण ही माता-पिता अपना पूर्ण जीवन गर्व से जीते हैं। आज कलयुग में कुछ लोग बेटियों को बहकाकर गलत राह पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं। ऐसे कलयुगी इंसानों से बेटियों को सदैव बचना चाहिए। बेटी कोई गलत कदम उठाती है तो मां-बाप के लिए जीवन जीना भी बड़ा मुश्किल होता है श्री शर्मा ने कहा हर साल सितंबर का चौथा रविवार बेटी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस साल 2022 में यह दिन 25 सितंबर को मनाया जा रहा है।आज से कुछ साल पहले हमारे भारत देश में लड़कियों की क्या दशा थी यह तो आप सभी जानते ही हैं। भारत में आज से कुछ वर्षों पहले के लिंगानुपात की बात करें तो लड़कों की तुलना में लड़कियों की संख्या बहुत कम थी और गर्भ में बेटियों को मारने का चलन चल पड़ा था। लेकिन आज समय बिल्कुल बदल गया है आज लोग बेटियों को भी उतना मान देते हैं जितना मान वह अपने बेटों के लिए चाहते हैं। आज बेटियां चांद तक पहुंच गई हैं कोई भी क्षेत्र हो बेटियों ने अपना दमखम दिखा दिया है और बता दिया है कि वे किसी से कम नही है। और आज उन्ही बेटियों को प्यार जताने का दिन है जिसे राष्ट्रीय बेटी दिवस के रूप मे मनाया जाता है और यह दिन खासकर बेटियों के लिए होता है।बेटी है तो संसार है। बेटी बचेगी तो सृष्टि बचेगी। बेटी घर की रौनक है। परिवार और समाज की रौनक है।भारत में बेटी दिवस मनाने की एक और वजह यह है कि बेटी के लिए लोगों को जागरुक करना बेटी को ना पढ़ाना, उन्हें जन्म से पहले मारना, घरेलू हिंसा, दहेज और दुष्कर्म से बेटियों को बचाने के लिए भारतीयों को जागरुक करना उन्हें यह समझाना कि बेटियां बोझ नहीं होती, बल्कि आपके घर का एक अहम हिस्सा होती हैं।
खिलती हुई कलियां है बेटियां,मां बाप का दर्द समझती है बेटियां, घर को रोशन करती है बेटियां, लड़के आज हैं तो आने वाला कल है बेटियां…