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अंबाह मुरैना। मारीच-रावण संवाद और सीताहरण देख दर्शकों की आंखें छलकीं।

अम्बाह क्षैत्र के बरिष्ठ कॉग्रेस नेता अध्यक्ष उमाचरण शर्मा दाऊ की गई ब्यबस्था श्रीराम बाटिका में रामलीला के तीसरे दिन बुधवार को महात्मा लोचनदास कला मण्डल द्वारा रामलीला में मारीच और रावण के बीच संवाद, सीताहरण का मंचन किया गया। रामलीला में बहन शूर्पणखा के नाक काटने का बदला लेने के लिए लंकापति रावण ने माता सीता का हरण करने की योजना बनाई। इसके लिए उसने प्रभु राम और लक्ष्मण को सीताजी से दूर करने के लिए मायावी मामा मारीच से संवाद किया और पंचवटी में स्वर्ण का मृग बनकर विचरण करने को कहा। मारीच सोने का हिरण बनकर वन में प्रभु राम माता जानकी के सामने घूमने लगा। स्वर्ण मृग को देख सीताजी उसके खाल को लाने के लिए भगवान राम से हठ करने लगी। जिस पर प्रभु राम ने अनुज लक्ष्मण को सीताजी को छोड़ कर कही न जाने की हिदायत देकर उक्त मृग को मार खाल लाने के लिए चल पड़ते हैं। जहां काफी देर के बाद उन्होंने हिरण को अपनी बाणों से मार डाला। इस दौरान योजना के अनुसार, प्राण त्यागने से पूर्व मायावी मारीच ने हाय लक्ष्मण की आवाज लगाई। काफी देर होने से बेचैन मां सीता ने यह आवाज सुनी तो उन्होंने लक्ष्मण से कहा कि लगता है भैया राम पर कोई खतरा हो गया है और लक्ष्मण को बचाव में जाने के लिए जिद करने लगी। जिस पर लक्ष्मण ने माता जानकी के चारों तरफ लक्ष्मण रेखा खींचकर उससे बाहर नहीं आने को कहकर प्रभु राम की खोज में जंगल की ओर निकल पड़े। जानकी को अकेले देख रावण साधु का वेश धारण कर उनसे भिक्षा मांगने पहुंचता है और वहां लक्ष्मण रेखा को देख चालाकी वश माता से रेखा के बाहर आकर भिक्षा देने को कहता है। जैसे ही माता सीता रेखा के बाहर आकर भिक्षा देती हैं, रावण उनका हरण कर आकाश मार्ग से लंका जाने को निकल पड़ता है। इधर, जब हिरण की खाल लेकर भगवान राम भैया लक्ष्मण के साथ जब पंचवटी में आते हैं और सीताजी को गायब देखते हैं और विलाप करने लगते हैं। उनके विलाप को सभी दर्शकों की आंखें भी नम हो गई इसमे मेन भूमिका कलाकार राम भूूमिका में भोलू शर्मा जौरा लक्ष्मण मोहित सिह पोरसा सीता शिबप्रताप पोरसा मारीछ मुनेश पाठक बंजरिया राबण राकेश सिह तोमर पालि जोगी राबण बलिराम उपाध्याय भकरौली सुन्दरी अमित परमार आगरा सबकी अहम भूमिका रही व देख रेख ब्यबस्था पातीराम उपाध्याय श्रीकृष्ण शर्मा नेताजी व पप्पू बरोलिया एवं समस्त श्रोतागणो की रही

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