ब्रेकिंग
PCC चीफ ने कहा, DGP का आदेश खाकी वर्दी का अपमान सांसद-विधायक को सैल्यूट करेगें पुलिस कर्मी, ये लोकतं... सीएम बोले- पाकिस्तानी नागरिकों को एमपी से जल्द बाहर करें: पुलिस अधिकारियों को अभियान चलाने के निर्दे... मंदसौर में तेज़ रफ़्तार कार कुऐ में गिरी 6 लोगों की मौत केंद्र सरकार का एक और सख्त फैसला, पाकिस्तानी हिंदुओं की चारधाम यात्रा पर रोक कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा ने अमित शाह को बताया शिव अवतार, बयान पर मचा बवाल, कांग्रेस-बीजेपी आमने-साम... केंद्र सरकार का बड़ा ऐलान: पाकिस्तानी हिन्दु , सिखो का वीजा रद्द नहीं होगा नवविवाहिता के साथ रेप कर हत्या, कमरे में निवस्त्र मिली लाश, जेठ पर आरोप कमरे में निवस्त्र मिली लाश,... पहलगाम हमले के बाद अमरनाथ यात्रा पर खतरा मंडराया, सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दाखिल मध्यप्रदेश में एक मई से होगे ट्रांसफर मुख्यमंत्री ने शिक्षण सत्र खत्म होने के बाद बताया तबादलों का क... लखनऊ में भीषण आग, 65 झोपडिय़ां जलीं, रुक-रुककर फटते रहे सिलेंडर, 6 घंटे में काबू पाया
मध्यप्रदेश

छिंदवाड़ा के जुन्नारदेव में है देश का एकमात्र मां हिंगलाज मंदिर

जुन्नारदेव। माता हिंगलाज का देश में एकमात्र मंदिर छिंदवाड़ा जिले में है। इस मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक है। माता रानी के प्रति लोगों की आस्था इस कदर है कि नवरात्र में हर दिन दस हजार से अधिक श्रद्धालु दर्शन करने और आशीर्वाद लेने पहुंचते हैं।

मान्यता है कि मां के दरबार में हर अर्जी पूरी होती

मान्यता है कि मां के दरबार में लगाई गई हर अर्जी पूरी होती है। मां हिंगलाज का दूसरा मंदिर पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में हैं, जिसके प्रति हिन्दुओं के अलावा मुस्लिमों में भी अटूट आस्था है।भारत में प्राचीन हिंगलाज मंदिर छिंदवाड़ा जिला मुख्यालय से करीब 35 किमी दूर उमरेठ थाना क्षेत्र के अम्बाड़ा में है। क्षेत्र के बुजुर्ग बातते हैं कि हिंगलाज भवानी का एक मंदिर देश में है और दूसरा पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में है, जहां हिन्दुओं के अलावा मुस्लिम परिवार भी दर्शन करने पहुंचते हैं।

कोलमाइन के अंग्रेज मालिक ने मूर्ति हटाने का काम सौंपा था

कहते हैं कि 110 वर्ष पूर्व 1907 में कोलमाइन के अंग्रेज मालिक ने अपने कर्मचारियों को मूर्ति हटाने का काम सौंपा था, लेकिन मजदूरों की तमाम कोशिशों के बावजूद मूर्ती हिली तक नहीं थी और जब मालिक घर जाकर सो गया। उसे सपने में हिंगलाज माता आई और मूर्ति न हटाने की चेतावनी दी थी। अगली सुबह अंग्रेज ने यह बात मजदूरों को बताई और फिर से मूर्ति हटाने के आदेश दे कर पत्नी के साथ खदान में अंदर घूमने चला गया था।

खदान में पत्थर धंसका और अंग्रेज खदान में जिंदा दफन हो गया

मजदूर मूर्ति हटाने का प्रयास करने लगे और दूसरी ओर जैसे ही अंग्रेज खदान के अंदर गया, खदान में पत्थर धंसका और अंग्रेज खदान में जिंदा दफन हो गया। कहा जाता है कि उस रात वहां तेज विस्फोट हुआ और आग की लपटें निकलीं।

श्रद्धालुओं की लगती है कतार

हिन्दू नव वर्ष और चैत्र व कुवार नवरात्र के दौरान मां हिंगलाज के दर्शन करने अम्बाड़ा में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। महिलाओं और पुरुषों की लम्बी कतार दर्शन करने के लिए लगती है। जानकारी के अनुसार 10 हजार से अधिक श्रद्धालु हर दिन माता हिंगलाज का आशीर्वाद लेने पहुंचते हैं।

सुरक्षा के लिए पुलिस बल तैनात के साथ सीसीटीवी

मंदिर परिसर में जहां सुरक्षा के लिए पुलिस बल तैनात रहने के साथ सीसीटीवी लगे हैं। परिसर में बच्चों के मनोरंजन के लिए झूला-चकरी व अन्य खिलौने हैं। परिसर में ही पेजलय की बेहतर व्यवस्था है। प्रवेश द्वार पर करीब एक फीट गहरा और तीन फीट लम्बा व 15 फीट से अधिक चौड़ा सीमेंटेड गड्ढा बनाया गया, जिसमें अनवरत पानी बहता है, उसमें ही श्रद्धालुओं के पैर धुल जाते हैं और फिर वे मंदिर में प्रवेश कर पूजा-अर्चना करते हैं।

नवरात्र में एक हजार से अधिक ज्योति कलश स्थापित किए जाते हैं

नव वर्ष और नवरात्र के दौरान मंदिर परिसर संगीतमय भजन गूंजते रहते हैं। यहां धार्मिक कार्यक्रम होते रहते हैं, जिनमें प्रसिद्ध कलाकारों ने देवी भजनों, गीतों की प्रस्तुति देते हैं। भजन मंडलिया जगराता करती हैं। मंदिर परिसर वृहद व व्यवस्थित होने के कारण कई श्रद्धालु परिवार के साथ पिकनिक मनाते नजर आते हैं। यहां चैत्र और क्‍वांर नवरात्र महोत्सव के दौरान मंदिर में करीब एक हजार से अधिक ज्योति कलश स्थापित किए जाते हैं। नौ दिनों तक भक्तों का माता के दर्शन करने तांता लगा रहता है। मंदिर के समीप ही ग्रामीणों की आवाजाही को देखते हुए घरेलू सामग्री व मनोरंजन की दुकानें लगती हैं।

मंदिर की खासियत

मंदिर समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि राजस्थान के काठियावाड़ इलाके में हिंगलाज देवी की प्रतिमा स्वयं प्रकट हुई थी। हिंगलाज माता को काठियावाड़ के राजा की कुलदेवी माना जाता था। प्राचीन काल में राजा के वंशजों को जीविकोपार्जन के लिए छिंदवाड़ा आना पड़ा था। तब वे अपने साथ हिंगलाज माता की प्रतिमा भी ले आए और छिंदवाड़ा में एक कोल माइन के पास इसे स्थापित किया था। तभी से यहां हिंगलाजा देवी पूजी जाने लगीं।हिंगलाज माता की मूर्ति अपने आप उठकर जंगलों में आकर विराजमान हो गईं। कुछ समय बाद लोगों को जंगलों में इमली के पेड़ के नीचे हिंगलाज माता की मूर्ति मिली और फिर यहां उनका मंदिर बनाया गया। अब यह मंदिर छिंदवाड़ा जिले के गुड़ी-अम्बाड़ा के पास स्थित है।

Related Articles

Back to top button