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मध्यप्रदेश

मप्र में ओबीसी सियासत पर भाजपा और कांग्रेस के बीच होड़, 70 से अधिक सीटों पर है निर्णायक भूमिका

भोपाल। अन्य पिछड़ा वर्ग को लेकर देश की सियासत में भाजपा और कांग्रेस के बीच मची होड़ के रंग मध्य प्रदेश की राजनीति में भी दिखने लगे हैं। कांग्रेस ने प्रदेश में ओबीसी दांव चला और पूर्व मंत्री जीतू पटवारी को चुनाव अभियान समिति का सह अध्यक्ष बनाकर उनका कद बढ़ा दिया। इसके पहले विंध्य अंचल से आने वाले कमलेश्वर पटेल को राष्ट्रीय कार्यसमिति के साथ विधानसभा चुनाव से जुड़ी सभी समितियों में स्थान देकर ओबीसी वर्ग को संदेश दिया गया था।

ओबीसी नेतृत्व को आगे बढ़ा रही कांग्रेस

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ से तकरार के बाद हाशिये पर रहे पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव की भी मुख्यधारा में वापसी हो गई है। सतना से विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा को पार्टी के अन्य पिछड़ा वर्ग विभाग का प्रदेश अध्यक्ष बनाकर बढ़ाया जा रहा है। उधर, भाजपा भी कोई कसर नहीं छोड़ रही है। शिवराज सरकार अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग का गठन भी कर चुकी है, जो आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक स्तर का अध्ययन कर रहा है। प्रदेश की राजनीति में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की बड़ी भूमिका है। इस कारण है कि भाजपा हो या कांग्रेस, कोई भी इनकी उपेक्षा नहीं करता है।

कांग्रेस ने ओबीसी नेता राजमणि पटेल को राज्य सभा भेजकर संदेश देने का काम किया था और कमल नाथ सरकार ने नौकरियों में ओबीसी आरक्षण 14 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत किया था। यद्यपि, यह कानूनी झमेला में फंस गया। इस बीच भाजपा सत्ता में आई और 27 प्रतिशत आरक्षण देने के आदेश भी जारी हो गए पर मामला अभी भी उलझा हुआ है। इसको लेकर कांग्रेस-भाजपा में आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलता रहता है। दोनों में यह बताने की होड़ मची है कि वे ही ओबीसी हितैषी हैं।

विंध्य और बुंदेलखंड अंचल में ओबीसी पर दांव

उधर, कांग्रेस प्रदेश में सुनियोजित तरीके से ओबीसी नेतृत्व को आगे बढ़ा रही है। महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष विभा पटेल इसी वर्ग से आती हैं। विंध्य और बुंदेलखंड अंचल में ओबीसी पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए कमलेश्वर पटेल और सिद्धार्थ कुशवाहा को आगे किया है। अरुण यादव को निमाड़ से लेकर बुंदेलखंड क्षेत्र में सक्रिय है और अब मालवांचल में स्थानीय समीकरण साधने के लिए जितू पटवारी पर दांव लगाया है। दरअसल, उनके पास मालवा, निमाड़ के साथ अन्य अंचलों में भी टीम है। युवा कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने और फिर कुणाल चौधरी ने टीम तैयार की है।

70 से अधिक सीटों पर निर्णायक हैं ओबीसी

ओबीसी सियासत को लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच होड़ इसलिए मची है कि प्रदेश के 70 से अधिक विधानसभा क्षेत्रों में ओबीसी मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। कहीं, कुरमी पटेल तो कहीं यादव, कहीं कौरव तो कहीं लोधी व किरार समाज की प्रभावी भूमिका है। भाजपा दावा भी करती है कि उसने ही मध्य प्रदेश में तीन-तीन ओबीसी मुख्यमंत्री (उमा भारती, बाबूलाल गौर और शिवराज सिंह चौहान) दिए हैं। कांग्रेस ने तो नगरीय निकाय के चुनाव में ओबीसी आरक्षण को उलझाने का काम किया। जबकि, कांग्रेस ओबीसी को 14 और फिर 27 प्रतिशत आरक्षण देने के साथ का दावा करती है।

जातीय गणना के मुद्दे को हवा देने की तैयारी

कांग्रेस ने महिला आरक्षण में ओबीसी को की बात उठाकर स्पष्ट कर दिया है कि वह अब मुद्दे पर पीछे नहीं हटेगा। चुनाव में जातीय गणना के मुद्दे को हवा दी जाएगी। कांग्रेस की सरकार बनने पर जातीय गणना कराने की घोषणा पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे सागर में कर चुके हैं। कांग्रेस ने जो 11 गारंटी लागू करने का वादा किया है, इसमें यह भी शामिल है।

भोपाल में कांग्रेस करेगी ओबीसी

सम्मेलन कांग्रेस सतना के बाद अब ओबीसी सम्मेलन भोपाल में करेगी। पिछड़ा वर्ग के अंतर्गत आने वाले सभी वर्गों को एक मंच पर लाने का प्रयास होगा। सम्मेलन करने की जिम्मेदारी कमल नाथ ने अरुण यादव और कमलेश्वर पटेल को दी है। दोनों को ही तिथि और स्थान निर्धारित करना है।

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