अचलेश्वर मंदिर के गर्भग्रह में जगह निकालने भोपाल के आर्किटेक्ट को बुलाया

ग्वालियर: अचलेश्वर मंदिर के नव निर्माण कार्य ने गति पकड़ी है। निर्माण कार्य भी 80 प्रतिशत से अधिक हो चुका है। 900 फीट के मंदिर में पिलर आ जाने के कारण गर्भग्रह में स्थान कम बचा है, जिसके कारण परेशानी हो रही है। गर्भगृह में और स्पेश निकालने के लिए डिजाइन में कुछ परिवर्तन करने पर विचार किया जा रहा है। मंदिर समिति ने कान्टेक्टर को भी बुलाकर चर्चा की है। चर्चा के दौरान यह बात सामने आई कि चारों पिलर गोल हैं। जिसके कारण अधिक स्थान घेर रहे हैं। अगर इन पिलरों को छांटकर चौकोर कर दिया जाए तो कुछ और स्थान मिल सकता है। चूंकि इन चारों पिलरों पर शिखर का पूरा भार है, इसलिए इन पिलरों को चौकोर कर और स्थान निकालना सहज नहीं है। भोपाल से आर्किटेक्ट को लोड वैयरिंग चेक करने के लिये बुलाया है। अर्किटेक्ट की सलाह पर कोई फेरबदल किया जाएगा।
पहले करना था विचार
अचलेश्वर मंदिर का कुल क्षेत्रफल 30 वाय 30 का है। यानिकी कुल स्थान 900 फीट के लगभग है। इसमें नंदी महाराज का स्थान प्रथक से है। मंदिर का स्थान देखकर पहले डिजाइन तैयार किया जाना था। किंतु एक तिहाई से मंदिर का निर्माण पूर्ण होने के बाद अब डिजायन में फेरबदल करने पर विचार किया जा रहा है।
भोपाल से आएगा आर्कीेटेक्ट
जिलाधीश द्वारा सेवानिवृत्त न्यायाधीश (हाइकोर्ट) एनके मोदी की अध्यक्षता में गठित मंदिर के संचालन समिति के गर्भगृह का स्पेश कम होने की बात संज्ञान में आने पर कान्टेक्टर को बुलाकर डिजायन में परिवर्तन करने पर विचार किया गया। कुछ भक्तों ने संचालन समिति का ध्यान इस तरफ आकर्षित कराया था। चूंकि मंदिर का पूरा स्ट्रेक्चर खड़ा हो चुका है। अब केवल फीनिंश का काम ही शेष रह गया है। समिति का मानना है कि अगर मंदिर के पिलरों को छांटकर चौकर दिया जाए तो कुछ और स्थान गर्भगृह के लिये मिल सकता है। किंतु कान्टेक्टर का कहना है कि बगैर आर्किटेक्ट की सलाह से कुछ भी फेरबदल करना उचित नहीं है। इसलिए भोपाल से आर्किटेक्ट को सलाह के लिए बुलाया गया है। उसके सलाह- मशविरा करने के बाद कोई फेरबदल किया जाएगा।
गोल- पिलरों पर चौकोर करने पर विचार किया जा रहा है। इसके लिए भोपाल से आर्किटेक्ट को बुलाया गया है। जिनके बारिश थमने पर अगले सप्ताह आने के बाद कोई निर्णय किया जायेगा।
जगदीश मित्तल, कान्टेक्टर