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मध्यप्रदेश

दिग्विजय कांग्रेस अध्यक्ष की रेस में आखिरी समय में कैसे मार गए बाजी, 22 साल की उम्र में जीता था पहला चुनाव

दिग्विजय सिंह (Digvijay singh) आज कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल कर सकते हैं. दिग्विजय सिंह का नाम अब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए सबसे आगे चल रहा है. आखिर दिग्विजय सिंह कांग्रेस के तमाम दिग्गजों को पीछे छोड़ते हुए इस रेस में सबसे आगे कैसे आ गए. इसके पीछे कई कारण है. जानिए दिग्विजय सिंह कैसे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन सकते हैं.

भोपाल। दिग्विजय सिंह (Digvijay singh) कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष (congress national president election) बनने की रेस में अब सब पर भारी पड़ते नजर आ रहे हैं. बताया जा रहा है कि वह आज राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए नामांकन कर सकते हैं. क्योंकि उनको कल ही दिल्ली बुलावा आ गया है. दिग्विजय सिंह राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के साथ भारत जोड़ो यात्रा के तहत केरल में थे, लेकिन शाम तक ही उनके पास यह मैसेज पहुंच गया कि वह दिल्ली पहुंचे. जिसके बाद बताया जा रहा है कि वह आज कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद नामांकन दाखिल कर सकते हैं. 10 साल तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे दिग्विजय सिंह अचानक से कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रेस में सभी दिग्गजों को पीछे छोड़ते हुए सबसे आगे कैसे नजर आ रहे हैं. इसके कई कारण बताए जा रहे हैं.

दिग्गी राजा रेस में सबसे आगे
कांग्रेस के कद्दावर नेता और 10 साल तक मध्य प्रदेश के सीएम रह चुके दिग्विजय सिंह के लिए सियासत में एक बात कही जाती है, ”दिग्विजय सिंह किसी को पसंद हो या न हो, लेकिन कोई उन्हें राजनीति में नजर अंदाज नहीं कर सकता.” कुछ ऐसा ही एक बार फिर होता दिख रहा है. क्योंकि दो दिन पहले तक इस बात की चर्चा तो तेज थी कि दिग्विजय सिंह भी कांग्रेस में राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के दावेदार है, लेकिन इस बात का अंदाज शायद किसी को नहीं था, वह अचानक इस रेस में सबसे आगे होंगे. लेकिन अब राजनीतिक हालात तो यही कह रहे हैं. अगर वह कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते हैं तो वह पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा के बाद मध्य प्रदेश के ऐसे दूसरे नेता होंगे जो इस पद तक पहुंचेंगे.

गांधी परिवार के नजदीकी
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अगर गांधी परिवार ने दिग्विजय सिंह के नाम पर ग्रीन सिग्नल दे दिया है तो वह कांग्रेस अध्यक्ष बन सकते हैं, भले ही चुनाव भी क्यों न हो. दरअसल, दिग्विजय सिंह का नाम कांग्रेस के उन नेताओं में गिना जाता है जो कांग्रेस में गांधी परिवार के सबसे नजदीकी माने जाते हैं. राजीव गांधी के दौर से लेकर सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) के कांग्रेसी दौर में दिग्विजय सिंह हमेशा गांधी परिवार के करीबी रहे हैं. क्योंकि उनकी कई खूबिया उन्हें इस परिवार के नजदीक लाती है. वह हर मोर्चे पर गांधी परिवार के साथ खडे़ नजर आए हैं, जब तक राजीव गांधी प्रधानमंत्री रहे तब दिग्विजय सिंह ने कई मोर्चों पर उनकी मदद की, जबकि राजीव की मौत के बाद सोनिया गांधी को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने की वकालत करने वालों में दिग्विजय सिंह सबसे आगे थे. उन्होंने मध्य प्रदेश के पचमढ़ी में कांग्रेस का चिंतन शिविर आयोजित करवाकर सोनिया गांधी से हिंदी में सबसे लंबा भाषण दिलवाया था, इसके अलावा दिग्विजय सिंह राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) के भी नजदीकी माने जाते हैं. वर्तमान में राहुल गांधी की ”भारत जोड़ो यात्रा” (Bharat Jodo Yatra) की सिक्रप्ट तैयार करने का श्रेय दिग्विजय सिंह को ही जाता है.

दिग्विजय सिंह की संगठन में मजबूत पकड़
दिग्विजय सिंह का नाम कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की रेस में सबसे आगे होने की एक बड़ी वजह यह भी है कि उनकी संगठन में मजबूत पकड़ हैं. कहा जाता है कि मध्य प्रदेश में उनको कांग्रेस के ज्यादातर कार्यकर्ताओं के नाम मुंहजुबानी याद है. इसके अलावा दिल्ली में भी उनके कांग्रेस के हर नेता से रिश्ते अच्छे हैं. जबकि विरोधियों की हर रणनीति पर सियासी पलटवार करने में दिग्विजय सिंह माहिर माने जाते हैं. यानि संगठन और समन्वयय में वह हर मामले में फिट बैठते हैं. खास बात यह है कि दिग्विजय सिंह साफ्ट हिंदुत्व वाले नेता माने जाते हैं. ऐसे में उनकी पकड़ न केवल उत्तर भारत बल्कि दक्षिण भारत में भी हैं, दिग्विजय सिंह कांग्रेस का एक ऐसा चेहरा है, जिनकी वर्तमान की राजनीति में पूरे भारत में पहचान है. ऐसे में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए उन पर लग रहा सियासी दांव भी एक बड़ी वजह माना जा रहा है.

53 साल का राजनीतिक करियर, 22 की उम्र में लड़ा पहला चुनाव
दिग्विजय सिंह का राजनीतिक करियर 53  साल का हो चुका है. मध्य प्रदेश की राघोगढ़ रियासत के राजपरिवार से आने वाले दिग्विजय सिंह को सियासत विरासत में मिली थी, उनके पिता बलभद्र सिंह भी विधायक थे. ऐसे में 1969 में 22 साल की उम्र में दिग्विजय सिंह ने राघोगढ़ नगर पालिका का चुनाव जीता था. जिसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा 53 साल के राजनीति करियर में राघोगढ़ से दिल्ली तक के सफर में उन्होंने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं, लेकिन दिग्विजय सिंह प्रदेश और देश की राजनीति में आज भी प्रासांगिक बने हुए हैं. वह फिलहाल पार्टी में महासचिव और राज्यसभा सांसद हैं.

सियासी दांव-पेंच में माहिर
दिग्विजय सिंह को कांग्रेस में सियासी दांव पेंच में भी माहिर माना जाता है. 1993 में वह पहली बार जब मध्य प्रदेश के सीएम बने थे, तब उन्होंने कांग्रेस के तीन दिग्गजों को पीछे छोड़ा था, जिनमें माधवराव सिंधिया,  श्यामाचरण शुक्ला और सुभाष यादव जैसे दिग्गज नेता शामिल थे. वह कई बार कांग्रेस के लिए परदे के पीछे से काम करते रहे हैं. 2018 में जब मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी, उसमें भी दिग्विजय सिंह का रोल सबसे ज्यादा अहम था. वह इस बात को बखूबी जानते हैं कि कहां कौन सा दांव खेला जाना है. यह बात भी उनके पक्ष में जाती है.

75 की उम्र में भी पूरी तरह फिट
राजनीति के लिए एक और बात सबसे ज्यादा जरूरी होती है जो नेता फिट है वो हिट है. दिग्विजय सिंह कांग्रेस के ऐसे नेता है जो 75 साल की उम्र में भी पूरी तरह से फिट है. राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में दिग्विजय सिंह आज भी 10 से 15 किलोमीटर की पैदल यात्रा रोज कर रहे हैं, जबकि पूरी यात्रा का जिम्मा भी उनके कंधों पर हैं. पांच साल पहले उन्होंने मध्य प्रदेश में 3 हजार किलोमीटर से भी ज्यादा की नर्मदा परिक्रमा यात्रा 192 दिन में पूरी थी, गैर राजनीतिक रही इस यात्रा का असर भी यह हुआ था कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस पूरी तरह से एक्टिव हो गई और पार्टी 2018 में सत्ता तक पहुंच गई. यही वजह है कि दिग्विजय सिंह न केवल सोनिया गांधी बल्कि राहुल और प्रियंका की गुडबुक्स में भी हैं. राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को जो रिस्पान्स मिल रहा है ऐसे में दिग्विजय सिंह की राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी और मजबूत हो गई है.

दिग्विजय-कमलनाथ की जोड़ी
दिग्विजय सिंह से पहले कमलनाथ का नाम भी राष्ट्रीय अध्यक्ष की रेस में सामने आया था. लेकिन कमलनाथ ने यह बात पहले ही स्पष्ट कर दी है वह यह जिम्मेदारी नहीं लेंगे. राजनीतिक गलियारों में तो इस बात की चर्चा भी तेज है कि कमलनाथ ने ही दिग्विजय सिंह का नाम कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए आगे बढ़ाया है. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि दिग्विजय सिंह और कमलनाथ की जोड़ी कांग्रेस की सबसे अच्छी जोड़ियों में से एक मानी जाती है. जबकि दोनों में बेहतर तालमेल भी है. ऐसे में अगर दिग्विजय सिंह कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते हैं तो कमलनाथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहेंगे. ऐसे में दोनों नेता कांग्रेस को मजबूत कर सकते हैं. दोनों की जोड़ी मध्य प्रदेश में पहले भी कई बार यह काम कर चुकी है.

चुनावी राज्यों में पकड़, विरोधियों पर पलटवार में माहिर
आने वाले दो साल चुनावी साल हैं, गुजरात, हिमाचल, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव होने हैं. जबकि 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि दिग्विजय सिंह यहां हर मोर्चे में फिट बैठ सकते हैं. गुजरात, छत्तीसगढ़ और राजस्थान तीनों ऐसे राज्य हैं जो मध्य प्रदेश से टच है. इन तीनों राज्यों में दिग्विजय सिंह की पकड़ मानी जाती है, जबकि यहां की सियासी परिस्थितियों से भी भलिभाती परिचित हैं. ये सभी राज्य कांग्रेस के लिहाज से बेहद अहम है. इसके अलावा 2024 में कांग्रेस को एक ऐसे नेता की जरुरत है जो बीजेपी से मुकाबला कर सके. दिग्विजय सिंह इन सभी परिस्थितियों में कांग्रेस के लिए फिट नजर आ रहे हैं, शायद यही वजह है कि वह कांग्रेस की अध्यक्ष की रेस में सबसे आगे दिख रहे हैं.

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