आनलाइन ठगी में करोड़ों रुपये गए वापस लौटे आधे भी नहीं

जबलपुर। आनलाइन ठगी के शिकार बने पीड़ित को शिकायत के बावजूद ठगी की रकम वापस नहीं मिल पाती है। कई मामले में रकम मिली भी तो आधी या उससे कम। लगातार आनलाइन ठगी के तरीके बदल रहे हैं। इस वजह से साइबर ठगी का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है। औसत सालभर में साइबर ठग जबलपुर के लोगों से दो से तीन करोड़ रुपये की ठगी कर रहे हैं। इसमें आधी रकम भी वापस नहीं मिल पाती है।
खाते सीज कराकर होती है राशि वापस
खास बात ये है कि साइबर ठगी होने के बाद जितने जल्दी साइबर पुलिस सक्रिय होती है रकम वापसी की संभावना भी उतनी अधिक हो जाती है। पुलिस उसके एकाउंट से गई राशि को फ्रीज कराकर पीड़ित को वापस करने का प्रयास करती है। पिछले तीन सालों में स्टेट साइबर सेल और जिला साइबर सेल द्वारा साइबर ठगी का शिकार हुए लोगों की लगभग डेढ़ करोड रुपये की राशि वापस कराई गई।
जितनी जल्दी शिकायत उतनी जल्दी कार्रवाई
इस संबंध में साइबर क्राइम में पुलिस अधीक्षक रश्मि खरैया ने बताया कि साइबर ठगी के बाद ये जरूरी होता है कि इसकी शिकायत में कितनी देरी हो रही है। जितने जल्दी पीड़ित शिकायत करता है कार्रवाई भी उतनी बेहतर हो पाती है। साइबर ठगी करने वाले आजकल एक मुश्त रकम एक खाते में डालने की बजाए क्विक मनी, इजी मनी के माध्यम से छोटे-छोटे एमाउंट अलग-अलग खातों में ट्रांसर्फर कर देते हैं जिस वजह से परेशानी होती है। हमारे पास शिकायत मिलने पर तत्काल हम संबंधित बैंक से संपर्क कर रााशि को फ्रीज करवाने का प्रयास किया जाता है।
दो लाख से अधिक के मामले
स्टेट साइबर सेल द्वारा कुछ सालों पूर्व तक एक-एक साल में आनलाइन ठगी का शिकार हुए लोगों की 70 से 90 लाख रुपये तक की राशि प्रतिवर्ष वापस कराई गई, लेकिन एक साल पूर्व नया सर्कुलर आ गया, जिसमें दो लाख या उससे अधिक की ठगी के मामलों की जांच स्टेट साइबर सेल द्वारा की जाने लगी, जिस कारण फ्रीज कराई गई राशि के ग्राफ में भी कमी आई।
जिला साइबर सेल
- वर्ष 2021- 36 लाख 06 हजार 610 रुपये
- वर्ष 2022- 35 लाख 46 हजार रुपये
- वर्ष 2023- 12 लाख 18 हजार रुपये