लापरवाही की चैनलों में फंसकर खाली रह गया इंदौर का बिलावली तालाब

इंदौर। पानी की एक-एक बूंद बचाने के लिए जब दुनिया गंभीर हो रही है, ऐसे में इंदौर नगर निगम की लापरवाही से बारिश का लाखों गैलन पानी बेजा बहकर बर्बाद हो गया है। यह वह पानी था, जिसे शहर की चार से पांच लाख आबादी को प्रभावित करने वाले खंडवा रोड स्थित बिलावली तालाब को पूरा भर सकता था। यदि नगर निगम सही समय पर इस तालाब में बारिश का पानी लाने वाली चैनलों को साफ कर देता, तो यह पानी इस तालाब में भर जाता। किंतु चैनलें साफ नहीं हुई, नतीजतन तालाब का कंठ अब तक खाली है। बीते वर्ष 1 अगस्त 2022 को तालाब जितना भर चुका था, इस बार उससे कहीं कम भर सका है। ऐसा भी नहीं कि बारिश कम हुई क्योंकि यशवंत सागर ओवरफ्लो हो चुका है और अन्य तालाबों में भी पानी आ चुका है। लेकिन बिलावली है कि निगम की लापरवाही की चैनलों में फंसकर खाली रह गया है।
जबकि भर चुके हैं अन्य तालाब
शहर में सामान्य औसत वर्षा का आंकड़ा 35 इंच के करीब है। इस वर्ष अब तक 22 इंच पानी बरस चुका है। इतनी वर्षा से सिरपुर सहित अन्य तालाब लबालब हो चुके हैं। किंतु बिलावली तालाब का दुर्भाग्य है कि चैनलों की सफाई नहीं होने से इस तक पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पहुंच पा रहा है। चैनलों में कहीं मिट्टी तो कहीं पक्के निर्माण के कारण पानी नहीं आता और वह बहकर कहीं ओर निकल जाता है। शहर के कोटे की आधी बारिश होने के बावजूद इस तालाब का सूखा होना प्रश्नों के घेरे में है। तालाब तक पानी पहुंचाने वाली चैनलें जगह-जगह ब्लाक होने के बावजूद नगर निगम की नींद है कि टूटती नहीं।
लाखों लोगों की प्यास बुझाता है तालाब
करीब 140 वर्ष पहले शहर के लोगों की प्यास बुझाने के लिए बिलावली तालाब को बनाया गया था। रणनीति कुछ ऐसी थी कि आसपास के पहाड़ी व मैदानी इलाकों से पानी बहकर इसमें आएगा और यह वर्षभर इंदौर की जनता को पानी देगा। किंतु इस रणनीति पर निगम की निद्रा भारी पड़ रही है। वर्षाकाल का आधा सीजन बीतने को है, फिर भी तालाब आधा भी नहीं भर पाया है। विगत वर्ष इस समय तक तालाब आधा भर गया था। इस बार बारिश की स्थिति सामान्य रहने के बाद भी बिलावली का खाली रह जाना तेजतर्रार माने जाने वाले निगम के लिए सोचने का विषय है।
चैनल की राह में हैं अवरोध
बिलावली तालाब में लिंबोदी, निहालपुर मुंडी, बीजलपुर, कैलोद, करताल, राऊ और मोरोद की ओर से पानी आता है। यह पानी विभिन्न चैनलों से होते हुए इस तालाब तक पहुंचता है। इनमें से कई चैनलें सिकुड़ गईं हैं, तो कई को मिट्टी और अन्य अवरोधों ने अवरुद्ध कर दिया है। प्रतिवर्ष बारिश के पहले इन चैनलों की सफाई की जाती है, किंतु इस बार ठीक से सफाई न होने से ये चैनलें वर्षा के पानी को तालाब तक नहीं पहुंचा पा रहीं। इससे वर्षा का पानी तालाब तक पहुंचने के स्थान पर सड़कों पर बहकर बर्बाद हो रहा है। तालाब के आसपास हुए निर्माण भी इसमें अवरोध उत्पन्न कर रहे हैं।
…जबकि अन्य तालाब हुए ओवरफ्लो
शहर में अब तक हुई 22 इंच वर्षा से जहां अन्य तालाब पूरे भरने को हैं, वहीं यशवंत सागर तो पूरा भरकर ओवरफ्लो भी हो गया है। किंतु इसके उलट 34 फीट गहरा बिलावली तालाब अब तक खाली है। बता दें कि बिलावली तालाब से रोजाना तीन एमएलडी पानी जलप्रदाय किया जाता है, ऐसे में इस तालाब का भरना पूरे शहर की आबादी के लिए अत्यंत जरूरी है। यदि यह तालाब खाली रह गया, तो इसका दबाव अन्य तालाबों या नर्मदा की सप्लाय पर पड़ेगा। तालाब के नहीं भरने से आसपास की कालानियों के रहवासियों को नर्मदा के पानी पर निर्भर रहना पड़ेगा।
यह सही है कि बिलावली तालाब अभी अपनी क्षमता के अनुरूप नहीं भरा है, किंतु बारिश पर्याप्त नहीं होने से यह खाली है। इसकी चैनल की सफाई कर मिट्टी हटा दी गई है। यशवंत सागर तालाब में गंभीर नंदी के कारण ज्यादा पानी आया, जबकि लिंबोदी, सिरपुर और बिलावली तालाब अभी खाली हैं।
– सुनील गुप्ता, इंजीनियर, नगर निगम