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मध्यप्रदेश

भोपाल मेमोरियल अस्पताल बनेगा मध्य प्रदेश का दूसरा बोनमैरो ट्रांसप्लांट सेंटर

भोपाल। बोनमैरो ट्रांसप्लांट यानी अस्थिमज्जा प्रत्यारोपण को किफायती और आम मरीजों की पहुंच में लाने के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है।

भोपाल मेमोरियल हास्पिटल एंड रिसर्च सेंटर को मिली अनुमति

राजधानी के बीएमएचआरसी (भोपाल मेमोरियल हास्पिटल एंड रिसर्च सेंटर) में बोनमैरो ट्रांसप्लांट सेंटर खोलने की अनुमति दे दी गई है। यह 50 बिस्तर वाला सेंटर होगा।

वर्ष 2026 के अंत तक शुरू करने का लक्ष्‍य

यह सेंटर वर्ष 2026 के अंत तक शुरू करना होगा। इस सेंटर में रासायनिक, जैविक, रेडियोलाजिकल और परमाणु दुर्घटनाओं के संपर्क में आने वाले पीड़ितों की जांच व इलाज भी हो सकेगा। इसमें ट्राइएज, परिशोधन, जैव-नियंत्रण सुविधा, प्रयोगशाला, आपरेशन थियेटर, एंबुलेंस होगी।

मरीजों को कम दाम में अच्छे और बेहतर इलाज की सुविधा मिलेगी

इस सेंटर के शुरू होने के बाद इस बीमारी से ग्रसित मरीजों को कम दाम में अच्छे और बेहतर इलाज की सुविधा मिल सकेगी। केंद्र का मुख्य उद्देश्य भोपाल गैस त्रासदी जैसी घटनाओं से उत्पन्न होने वाली चिकित्सा आपात स्थिति और कोविड-19 महामारी जैसी जैविक आपात स्थिति का प्रबंधन करना है। अभी तक प्रदेश के शासकीय अस्पतालों में केवल एमवाय इंदौर में ही यह सुविधा है।

गैस कांड से प्रभावित लोगों के ल‍िए बना है अस्‍पताल

उल्लेखनीय है कि यह अस्पताल 1984 में हुए भोपाल गैस कांड से प्रभावित लोगों को अच्छा इलाज देने के लिए जुलाई 2000 में बनाया गया था। 23 वर्ष बाद इस अस्पताल में उक्त सेंटर बनाने की अनुमति मिली है। इस सेंटर का लाभ गैस पीड़ित के साथ-साथ आम मरीज भी ले सकेंगे।

निजी अस्पतालों में आता है 30 से 35 लाख रुपये खर्च

सरकार इस बीमारी के इलाज को किफायती बनाने की दिशा में बड़ा काम कर रही है। इसके तहत इस सेंटर पर अधिकतम दो लाख रुपये तक का खर्च आएगा। ऐसे मरीजों के इलाज के लिए ज्यादातर दवाएं और डाइग्नोसिस टेस्ट आदि की सुविधा अस्पतालों में उपलब्ध नहीं होती है। डोनर के प्रकार और स्टेम सेल के स्रोत के अनुसार निजी अस्पतालों में प्रत्यारोपण की लागत 30 लाख से 35 लाख रुपये तक होती है। इस कारण कई रोगी लंबे समय तक प्रतीक्षा करते हैं, क्योंकि वे निजी क्षेत्र के अस्पतालों में इलाज का खर्च नहीं उठा सकते हैं।

इनका कहना है

अस्थिमज्जा प्रत्यारोपण के लिए मंजूरी मिल गई है। इसके लिए दो एकड़ भूमि का चयन भी हो चुका है। संबंधित कंपनी से एमओयू भी हस्ताक्षर किए जा चुके हैं। इस प्रोजेक्ट को 2026 तक पूर्ण होना है।

-डा. मनीषा श्रीवास्तव, निदेशक बीएमएचआरसी भोपाल

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