साहित्यकारों पत्रकारों की जगह नहीं ले सकता भावना विहीन एआइ

भोपाल। मशीनें जब खुद लिखने लगेंगी, संपादन करने लगेंगी तब क्या लेखकों, पत्रकारों की भूमिका खत्म हो जाएगी। हाल ही तेजी से उभरी एआइ (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) तकनीक से बताए जा रहे खतरे के बीच इस सत्र को सुनने कई युवा पहुंचे। भोपाल के रवींद्र भवन में उन्मेष-उत्कर्ष साहित्य उत्सव के इस सत्र की अध्यक्षता कर रहे जयपुर साहित्य महोत्सव के प्रबंध निदेशक संजय राय ने कहा कि क्या एआइ लोगों की नौकरी छीन लेगी? क्या यह पत्रकारिता के लिए खतरा बनेगी? यह सवाल हमारे सामने हैं। एआइ व्यवधान डाल सकता है, पर क्या एआइ मणिपुर जाकर वहां की घटना की रिपोर्टिंग कर सकती है? नहीं। क्या वह घटना के स्रोत तक जा सकती है? नहीं। क्या स्त्रोत से प्रश्न पूछ सकती है? नहीं। यदि पूछती भी है तो वह केवल निर्धारित प्रश्न पूछेगी, कारण क्या रहा, स्थिति क्या है, उस औरत के साथ क्या हुआ था। किस भावना से पूछेगा, क्या पूछेगा? इसलिए पत्रकारिता का सार नहीं बदलेगा। तथ्यों की जांच, संपादन कार्य, इस तरह के कार्यक्रमों की खबर वह कर देगा।
लेखिका कनिष्का गुप्ता ने कहा कि एआइ स्वयं प्रकाशित लेखकों के लिए वरदान है। प्रकाशक कार्तिका वीके ने कहा कि चैट जीपीटी बदलाव नहीं विकल्प देगा। यह संपादन कार्य में बहुत मददगार साबित होगा। यह कहानी की भावना को नहीं प्रस्तुत कर सकता। ख्यात लेखिका प्रीति सेन ने कहा कि एआइ लेखकों का स्थान कभी नहीं ले सकती। यह साहित्य के लिए खतरा नहीं बनेगी।
रचनात्मकता ही कला को निखारती है
साहित्य एवं अन्य कलाओं के सत्र में ग्राफिक उपन्यास को साहित्य की दुनिया में एक नए रूप में बताया गया। लेखिका अमृता पाटिल अपने ग्राफिक उपन्यास के लिए विख्यात हैं। उन्होंने अपनी रचना को पर्दे पर दर्शकों के सामने प्रस्तुत किया। इसके साथ ही अपनी अनोखी कला और साहित्य से भरी कहानियों की चर्चा की। उन्होंने बताया कि उनके उपन्यासों में चित्र के रंग की भी अपनी कहानी होती है। लेखिका नमिता देवी दयाल ने अपनी पुस्तक विलायत खान का छाता तार के परिपेक्ष में संगीत साहित्य और दृश्य स्मृति का परिचय कराया। निर्देशक रंजीत कपूर ने कहां रचनात्मकता ही कला को निखारती है। उन्होंने गुरु और शिष्य के रिश्तों के ऊपर बात की। इस सत्र की अध्यक्षता सुजाता प्रसाद ने की।