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2019 में बाढ़ से क्षतिग्रस्त हुए थे 69 स्कूल 98 लाख 50 हजार रुपए मरम्मत के लिए अब तक नहीं मिले – Mandsaur News: Mandsaur News: 2019 में बाढ़ से क्षतिग्रस्त हुए थे 69 स्कूल 98 लाख 50 हजार रुपए मरम्मत के लिए अब तक नहीं मिले

मंदसौर/बाजखेड़ी। जिले के शासकीय प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में भवनों की खस्ता हालत से विद्यार्थियों को परेशानी हो रही है। पिछले साल भी जिले के 120 क्षतिग्रस्त स्कूल भवन को मरम्मत के लिए चिन्हित किया था, लेकिन वह अभी तक ठीक नहीं हुए हैं। 2019 में हुई अतिवृष्टि के दौरान भी 69 स्कूल भवन क्षतिग्रस्त हो गए थे। वह अभी तक पूरी तरह ठीक नहीं हैं। उस दौरान बाढ़ में डूबे स्कूल भवनों में ही कक्षाएं भी लग रही हैं। अभी भी अरनिया निजामुद्दीन में स्कूल में बने किचन की जर्जर छत गिर गई। बच्चे भी जर्जर कक्षा में ही पढ़ रहे हैं।

2019 में जिले में हुई अतिवृष्टि के चलते बारिश व अन्य कारणों से 69 स्कूल क्षतिग्रस्त हो गए थे। इनकी मरम्मत के लिए सर्व शिक्षा अभियान के तहत राज्य शिक्षा केंद्र भेजा। 98 लाख 50 हजार के प्रस्ताव को आज तक मंजूरी नहीं मिली है। शासन से स्कूल की मरम्मत कराए बिना ही संचालन शुरू करने के लिए आदेश दे दिए। आज तक वह राशि नहीं मिल पाई है।

2018-19 में अतिवृष्टि हुई थी, जिसमें जिले के 69 स्कूल क्षतिग्रस्त हो गए थे। उनकी मरम्मत की खर्च राशि अब तक मंजूरी नहीं हो पाई है। इस साल भी एडब्ल्यूपी को 120 स्कूलों की मरम्मत के लिए पत्र भेज भेजकर परेशानी बताई। राशि मिलते ही सभी स्कूलों की मरम्मत कराई जाएगी। अभी स्कूल भी खुल गए और बच्चे पढ़ाई करने के लिए पहुंचने भी लगे हैं।

पानी टपकने से होती है परेशानी

जिला शिक्षा केंद्र से मिली जानकारी के अनुसार प्राथमिक और मिडिल स्कूलों का निरीक्षण कराया था। इसमें ऐसे स्कूल भवन मिले हैं, जिनकी मरम्मत करना बेहद आवश्यक है। कई ऐसे स्कूल भवन की छत से पानी टपकता रहता है, इससे बच्चे बैठ भी नहीं पाते हैं। स्कूल का प्रवेश द्वार भी क्षतिग्रस्त हो गया है। कई जगह से छत का प्लास्टर गिर रहा है।

अधिकारियों ने नहीं ली सुध

ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी स्कूलों के हाल बेहाल हैं। 2019 में सोमली नदी में आई बाढ़ में ग्राम अरनिया निजामुद्दीन का प्राथमिक विद्यालय पुरी तरह से डूब गया था। अब स्कूल की छत से सरिये निकले हैं। प्राथमिक विद्यालय में कक्षा पहली से लगाकर पांचवी तक 42 बच्चे जर्जर स्कूल की छत के नीचे पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने आज तक इस स्कूल की सुध नहीं ली।

स्कूल के पास ही मध्यान्ह भोजन के लिए बनाई किचन की छत से भी सीमेंट कांक्रीट भरभराकर गिर पड़ी है। पूरी तरह से जर्जर अवस्था में किचन शेड पड़ा हुआ है। खंडहर पड़े किचन शेड में जहरीले जानवरों का डर भी बना रहता है। दो साल हो गए किचन शेड को जर्जर हुए, लेकिन जिम्मेदारों ने ध्यान नहीं दिया।

2019 की बाढ़ से हुए क्षतिग्रस्त

मध्यान्ह भोजन में बच्चों को देने वाला खाना स्व सहायता समूह की महिला आमना बी अपने घर पर ही खाना बनाकर लाती है, क्योंकि किचन तो पूरी तरह से जर्जर अवस्था में है। 2019 की बाड़ के पानी से पूरी तरह से स्कूल डूबने के बाद जर्जर अवस्था में हो गया हैं।

शिक्षा विभाग के जिम्मेदारों को नहीं परवाह

ग्राम अरनिया निजामुद्दीन के विष्णु अहीरवार, आमिल खान, हबीब अजमेरी ने बताया कि स्कूल के छत में जगह-जगह सरिये निकल हैं। छत का प्लास्टर उखड़ कर नीचे गिर रहा है। किचन शेड तो पूरी तरह से जर्जर हो गया है। छोटे-छोटे बच्चे स्कूल में पढ़ाई करते हैं। शिक्षा विभाग के जिम्मेदारों को कोई परवाह नहीं हैं। सरकार बच्चों की शिक्षा के लिए सरकारी स्कूलों में करोड़ों रुपये खर्च करती है, लेकिन शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं।

इंजीनियर को भेजकर दिखवाते हैं स्कूल

जिले में अतिवृष्टि और अन्य कारणों से क्षतिग्रस्त हुए कई स्कूल भवनों की मरम्मत हुई है और कुछ की बाकी हैं। प्राथमिक विद्यालय अरनिया निजामुद्दीन के जर्जर स्कूल भवन का मामला आपसे संज्ञान में आया है। इंजीनियर को भेज कर दिखवाते हैं।

लोकेंद्र डाबी, जिला परियोजना समन्वंयक, जिला शिक्षा केंद्र

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