ब्रेकिंग
केंद्र सरकार कराऐगी जाति जनगणना PCC चीफ ने कहा, DGP का आदेश खाकी वर्दी का अपमान सांसद-विधायक को सैल्यूट करेगें पुलिस कर्मी, ये लोकतं... सीएम बोले- पाकिस्तानी नागरिकों को एमपी से जल्द बाहर करें: पुलिस अधिकारियों को अभियान चलाने के निर्दे... मंदसौर में तेज़ रफ़्तार कार कुऐ में गिरी 6 लोगों की मौत केंद्र सरकार का एक और सख्त फैसला, पाकिस्तानी हिंदुओं की चारधाम यात्रा पर रोक कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा ने अमित शाह को बताया शिव अवतार, बयान पर मचा बवाल, कांग्रेस-बीजेपी आमने-साम... केंद्र सरकार का बड़ा ऐलान: पाकिस्तानी हिन्दु , सिखो का वीजा रद्द नहीं होगा नवविवाहिता के साथ रेप कर हत्या, कमरे में निवस्त्र मिली लाश, जेठ पर आरोप कमरे में निवस्त्र मिली लाश,... पहलगाम हमले के बाद अमरनाथ यात्रा पर खतरा मंडराया, सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दाखिल मध्यप्रदेश में एक मई से होगे ट्रांसफर मुख्यमंत्री ने शिक्षण सत्र खत्म होने के बाद बताया तबादलों का क...
मध्यप्रदेश

ठंडा पड़ा भाजपा का अल्पसंख्यक मोर्चा… हज यात्रा में जुटे अध्यक्ष

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने की थी घोषणा – एक माह में नियुक्ति करने का दावा… छह महीने बीते

भोपाल ।  भाजपा का अल्पसंख्यक मोर्चा महज नाम का रह गया है। मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष को छह माह पहले हज कमेटी का अध्यक्ष बना दिया गया। उनका ध्यान अब संगठन पर कम है। भाजपा ने अब तक नई नियुक्ति नहीं की, जबकि छह माह पहले वारसी के हज कमेटी में जाने पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष एक माह में नई नियुक्ति का दावा किया था।
भाजपा में अल्पसंख्यक मोर्चे को दो दोयम दर्जे पर रखा जाता है। पार्टी का ध्यान कम ही रहता है जिसके पीछे भी कई कारण हैं। लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भाजपा के अनुभव ठीक नहीं है। मुस्लिम बूथों से ऊंगलियों पर गिने जाने वाले वोट मिलते हैं। ये जरूर है कि नगर निगम चुनाव में पार्टी के पार्षद प्रत्याशी जरूर जीत जाते हैं। इस बार इंदौर भाजपा ने ये मौका भी उन्हें नहीं दिया। एक भी मुस्लिम को पार्टी ने टिकट नहीं दिया। हालांकि उसका फायदा अन्य वार्डों में भी हुआ। वोटों का ध्रुवीकरण होने से भाजपा को आसपास के वार्डों में प्रत्याशियों के वोट बढ़ गए।

भोपाल ही नहीं अल्पसंख्यक मोर्चा की स्थिति प्रदेश में भी ऐसी है उसे दोयम दर्जे पर रखा गया। वर्तमान में रफत वारसी प्रदेश अध्यक्ष हैं जो छह माह पहले हज कमेटी के अध्यक्ष चुने जा चुके हैं। कैबिनेट मंत्री का दर्जा होने से वे संगठन के काम पर ध्यान नहीं दे पा रहे हैं। उसके बावजूद नई नियुक्ति अब तक नहीं हुई है जबकि प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने इंदौर दौरे में एक माह में नए अध्यक्ष बनाए जाने की घोषणा कर दी थी। उस बात को भी छह माह हो गए, लेकिन अब तक कोई परिणाम सामने नहीं आया है। मजेदार बात ये है कि कुछ माह बाद विधानसभा के चुनाव हैं जिसके बावजूद पार्टी का फोकस अल्पसंख्यक वोट बैंक पर नहीं है। जबकि कांग्रेस ताकत से मुस्लिम वोटों को साधने में लगी हुई है।

नाराज हैं अल्पसंख्यक नेता
प्रदेश में भाजपा के अल्पसंख्यक नेता खासे नाराज हैं। नगर निगम चुनाव में उन्हें पार्टी ने टिकट नहीं दिया। 85 वार्डों में दस वार्ड मुस्लिम बाहुल्य हैं, लेकिन एक में भी मौका नहीं दिया गया। उसके अलावा भोपाल के किसी भी मुस्लिम नेता को सरकार में भागीदारी नहीं दी गई। वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष बने सनव्वर पटेल उज्जैन से है तो वारसी ग्वालियर से ताल्लुक रखते हैं। भोपाल के खाते में अब तक कुछ भी नहीं आया। सच्चाई तो ये है कि भोपाल में कई बड़े मुस्लिम नेता हैं जो पूरी ताकत से संगठन का काम करते हैं। उसके बावजूद उन्हें तवज्जो नहीं दी जाती है। सीएए व एनआरसी को लेकर समाज में भारी विरोध हो रहा था जिसकी कई नेताओं ने खिलाफत की तो संगठन के कहने पर आयोजन को कमजोर करने तक गए, जिससे समाज से उन्हें बुराई मिली। ऐसे राष्ट्रवादी मुस्लिमों पर भी पार्टी ने ध्यान नहीं दिया।

 

Related Articles

Back to top button