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आदिवासियों ने पुलिस थाने पर हमला किया, सरगना को छुड़ा ले।

भोपाल। गलती किसी की भी हो लेकिन मध्यप्रदेश के बुरहानपुर के नेपानगर थाना क्षेत्र में कानून और व्यवस्था की स्थिति संकट में है। यदि तत्काल कंट्रोल नहीं किया तो यह इलाका सरकार के नियंत्रण से बाहर हो सकता है। ताजा खबर यह है कि 60 से अधिक आदिवासियों ने पुलिस थाने पर हमला किया और गिरफ्तार किए गए तीन आरोपियों को छुड़ाकर फरार हो गए। जंगल माफिया के गिरोह में आदिवासियों की फौज गुरुवार रात करीब 3:00 बजे पानखेड़ा के 60 से ज्यादा आदिवासियों ने नेपानगर थाने में हमला कर दिया। पुलिसकर्मियों को मारपीट कर वे पकड़े गए अपने तीन साथियों को छुड़ा ले गए। इस हमले में तीन पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। उन्हें शहर के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। घटना की सूचना मिलने के बाद सुबह करीब 6:00 बजे एसपी राहुल लोढा, कलेक्टर भव्या मित्तल और नेपा एसडीएम हेमलता सोलंकी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी नेपानगर थाने पहुंच गए थे। ज्ञात हो कि गुरुवार को पुलिस ने वन चौकी बाकड़ी से बंदूकें लूटने के मामले में फरार चल रहे पानखेड़ा के हेमा को गिरफ्तार किया था। पहले भी कई बार हमला कर चुके हैं हेमा अतिक्रमणकारियों का लीडर बताया जाता है। उसके साथ ही दो अन्य लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया था। हेमा की गिरफ्तारी से नाराज उसके साथियों ने योजनाबद्ध तरीके से थाने पर हमला बोल दिया। उल्लेखनीय है कि इससे पहले ठाठर बाल्डी के ग्रामीण वन विभाग के रेणुका डिपो से हमला कर अपने चार साथियों को छुड़ाकर ले गए थे। नेपानगर क्षेत्र में चल रही जंगल की अवैध कटाई और अतिक्रमण कारी पुलिस और जिला प्रशासन के लिए गले की फांस बन गए हैं। नेपानगर में जंगल की लड़ाई में पुलिस की हालत करगिल जैसी इतिहास गवाह है, कारगिल का युद्ध इसलिए गंभीर हुआ क्योंकि ग्राउंड जीरो पर मौजूद सैनिकों की सूचनाओं पर विश्वास नहीं किया गया। इस युद्ध को युद्ध मान्य में भारत सरकार ने काफी देर कर दी थी। मध्यप्रदेश के बुरहानपुर जिले के नेपानगर में बिल्कुल ऐसी ही स्थिति है। भोपाल में बैठी सरकार, सिपाहियों की सूचनाओं पर ध्यान नहीं दे रही है। वन विभाग और पुलिस के कर्मचारियों पर आए दिन हमले हो रहे हैं। उन्हें जंगल में घुसने नहीं दिया जाता और भोपाल में बैठी सरकार कोई खड़ा कदम नहीं उठा रही है।

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