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सामूहिक कन्या विवाह पर विशेष संघर्ष और समर्पण से संकल्प पूरा होने का ऐतिहासिक दिन।
भोपाल- 11 मार्च रहली विधानसभा क्षेत्र और गोपाल भार्गव के लिए ऐतिहासिक दिन है क्योंकि आज लंबे संघर्ष और संकल्प के प्रति समर्पण के कारण 20 वे में कन्यादान समारोह में 21सौ कन्याओं का विवाह होगा और इसी के साथ गोपाल भार्गव का वह संकल्प भी पूरा होगा जिसमें उन्होंने 21हजार कन्याओं के विवाह का संकल्प लिया था दरअसल गोपाल भार्गव को यदि संघर्ष और समर्पण का पर्याय कहे तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी क्योंकि उनका शुरुआत से लेकर अब तक का जीवन इसी के इर्द-गिर्द घूमता रहा है गढ़ाकोटा को तहसील बनाने के आंदोलन से राजनीतिक जीवन मैं संघर्ष की शुरुआत हो गई थी जेल गए लाठियां खाई लेकिन कभी झुके नहीं फल स्वरूप नगर पालिका अध्यक्ष बने और रहली जैसी कांग्रेसका गढ माने जाने वाली विधानसभा सीट पर भार्गव जैसे युवा नेता पर पार्टी ने दांव लगाया जो रहली सीट 1977 की जनता पार्टी लहर में भी कांग्रेस ने जीती थी वही 1985 की इंदिरा गांधी की हत्या से उपजी सहानुभूति लहर में कांग्रेस को हराकर गोपाल भार्गव ने भाजपा की झोली में डाला और तब से लगातार आठ बार से चुनाव जीत रहे दो बार तो घर बैठे ही चुनाव जीता आठ बार की जीत में जीत में 20 साल विपक्ष का विधायक होना भी कडे संघर्ष का कार्यकाल था लेकिन समर्पण ऐसा था क्षेत्र के प्रति पार्टी के प्रति और लोगों के दुख दर्द करने के प्रति कभी कोई समस्या इतनी बड़ी नहीं हुई जिनका समाधान गोपाल भार्गव ना कर पाए हो जिस दिन से चला हूं मंजिल पर नजर है इन आंखों में कभी मील का पत्थर नहीं देखा कुछ इसी तर्ज पर निरंतर क्षेत्र का विकास देर रात तक जाकर भी लोगों की समस्याओं का निराकरण और समर्पण के कारण है आज का सुनहरा दिन आया है जो लोग साधनों के भरोसे संकल्प लेते हैं हो सकता है वे अधूरे रह जाये लेकिन साधना की दम पर लिए जाने वाले संकल्प अवश्य ही पूरे होते हैं यह गोपाल भार्गव ने सिद्ध कर दिया है पार्टी चाहे पक्ष में रहे या विपक्ष में उन्होंने अपने संकल्प को पूरा करने में अभी कोई कसर नहीं छोड़ी 21000 कन्याओं का विवाह कराने का महत्त्व वही व्यक्ति समझ सकता है जिसने कभी एक कन्या का विवाह कराया हो कितनी शिद्दत और समर्पण से यह संकल्प पूरा किया होगा इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि 2015 के सामूहिक कन्या विवाह में अपने इकलौते बेटे अभिषेक भार्गव दीपू और बड़ी बेटी अवंतिका का विवाह भी उन्होंने इसी सामूहिक विवाह समारोह में किया जिसमें पिछले 20 सालों से लगाता र विभिन्न जाति धर्म के गरीब बच्चे बच्चियों की शादी होती है इस अभियान से संघ के उस अभियान को भी ऐसी ऊंचाइयां मिली जिसमें संघ परिवार एक कुआं एक पाठशाला एक मंदिर और एक मंडप की बात करता रहा है कि आज प्रदेश और देश में सामाजिक समरसता के क्षेत्र में सामूहिक कन्या विवाह की क्रांति आ गई है कुल मिलाकर कुछ तो बात है जो हस्ती मिटती नहीं तुम्हारी शायद यह लाइने भी गोपाल भार्गव के लिए ही लिखी गई है लगातार एक ही क्षेत्र से 8 बार विधानसभा का यह चुनाव जीतना दो दशक से कैबिनेट मंत्री और बीच में नेता प्रतिपक्ष मध्यप्रदेश विधानसभा रहने वाले गोपाल भार्गव ना केवल सीधी बात और सहज सरल मुलाकात के लिए जाने जाते हैं वरन परोपकार और दया जैसे बड़े धर्म को भी आत्मसात किए हुए हैं शायद इसी के कारण वे राजनीति के अपराजेय योद्धा तो है ही राजनीति के संत भी कहे जाते हैं और संत नेता की तपस्या और समर्पण आज फलीभूत होने जा रहा है जब 20 वे में आयोजन में 21 सौ कन्याओं का विवाह होगा और इसी के साथ 21000 कन्याओं की शादी कराने का संकल्प भी पूरा हो रहा है वैसे तो कई क्षेत्रों में गोपाल भार्गव की रिकॉर्ड बन चुके हैं आज जब और पार्षद सरपंच भी अपने बच्चों की शादी धूमधाम से बड़ी बड़ी होटलों में करते हैं तब गोपाल भार्गव केबिनेट मंत्री रहते हुए अपने इकलौते बेटे और बेटी का विवाह इसी कन्या समारोह में कर चुके हैं यही कारण है गोपाल भार्गव आज राजनीति में काम करने वाले लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं यदि उनके जैसा आचरण राजनीति में काम करने वाले लोग करने लगे तो फिर नेताओं को एंटी इनकंबेंसी का सामना नहीं करना पड़ेगा देर रात तक जाग कर लोगों की समस्याएं सुनना हल करना तो जगजाहिर है ही गरीब लोगों के इलाज गढ़ाकोटा से लेकर सागर भोपाल दिल्ली और मुंबई में कराने वाले भार्गव अब तक 20000 लोगों का इलाज करा चुके हैं भोपाल के सरकारी बंगले में आधे से ज्यादा हिस्सा इलाज कराने वाले लोगों से भरा रहता है शायद यही कारण है की जहां हर चुनाव में नेताओं और राजनीतिक दलों के नारे बदल जाते हैं लेकिन पिछले 40 सालों से गोपाल भार्गव के चुनाव में एक ही नारा चलता है जिसका कोई ना पूछे हाल उसका साथी है गोपाल क्षेत्र में अपने समर्थकों और प्रदेश में शुभचिंतकों के बीच गोपाल भार्गव भैया के नाम से पुकारे जाते हैं शायद ही कोई ऐसा नेता हो जिसे तीन पीढ़ी भैया कहकर पुकारे और भैया भी लगभग 4 लाख लोगों को नाम से पुकारने की क्षमता रखते हैं पूरे प्रदेश में उनके चाहने वालों की एक अलग ही जमात है जो उन्हें राजनीति में बेदाग नेता मानते हैं अपना नेता मानते हैं और पार्टी भी उनके समर्पण और चुनाव जिताऊ क्षमता को देखते हुए उन्हें हर कठिन चुनौती में आगे करती है मसलन पिछले वर्ष को ही देख ले जब सुर्खी बड़ा मलहरा और पृथ्वी पुर जैसी विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनाव की चुनौती पार्टी के सामने थे तब गोपाल भार्गव को मोर्चे पर तैनात किया गया और तीनों क्षेत्रों में उन्होंने भारी अंतर से जीत दिलाई वे स्वयं भी हमेशा अपना चुनाव 55 परसेंट से 70 परसेंट तक वोट लेकर जीतते आ रहे हैं जिसमें दो बार नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद चुनाव प्रचार पर निकले बगैर ही जीते लेकिन जब पार्टी कठिन चुनावी चुनौती उन्हें सौंप दी है तब वे पूरे समर्पण भाव से दिन रात मेहनत करके चुनाव को भारी बहुमत से जीताते हैं जाहिर है संघर्ष और समर्पण से सफलता पाने वाले गोपाल भार्गव के जीवन का आज महत्वपूर्ण पड़ाव जिसमें वे 21000 कन्याओं के विवाह कराने का संकल्प पूरा करेंगे शायद इसी कारण चारों ओर से उन्हें साधुवाद मिल रहा है और जब जब गोपाल भार्गव के जीवन में चुनौती आती है तब तब ऐसे ही लोगों के शुभ के भाव उनका संभल बनते हैं इस सदी की सबसे भीषण त्रासदी कोरोना महामारी थी जब खून के रिश्ते में भी कई जगह अपनों का साथ नहीं दिया तब गोपाल भार्गव और उनके बेटे अभिषेक भार्गव ने दिन रात और ना मरीजों की सेवा की उनके लिए रातों-रात अस्पताल तैयार करवाया और जो इंजेक्शन और दवाईयां बड़े शहरों में नहीं मिल रही थी रहली क्षेत्र के पीड़ितों के लिए सहज उपलब्ध थी और इन्हीं प्रयासों के चलते दौड़ भाग में गोपाल भार्गव भी कोरोना की चपेट में आ गए और जब वह भोपाल के एक अस्पताल में भर्ती थे तब उनके चाहने वाले हजारों समर्थक देव स्थानों पर मन्नत मांग रहे थे कोई पैदल जा रहा था तो कोई उपवास कर रहा था और जब भार्गव स्वस्थ होकर लौटे तब भी साल भर मन्नत पूरी होने पर कृतज्ञता का दौर महीनों चलता रहा शायद गीता का यह निचोड़ भी सिद्ध होता है कि किया हुआ व्यर्थ जाता नहीं और किए बिना कुछ मिलता नहीं पाल भार्गव ने अपनी गुल्लक को जिन अच्छाइयों से भरा है वह जब जब जरूरत पड़ती है शुभकामना के रूप में उनके सामने आते हैं उन्होंने अच्छा किया तो पूरे जीवन में अच्छा ही मिल रहा है और उनके जीवन में अच्छा होना लोगों की समस्याएं हल होना लोगों का इलाज ठीक से होना और गरीब कन्याओं के विवाह समय से धूमधाम से हो जाए यही तो है और आज सबसे अच्छा यही हो रहा है कि उनके जीवन का सबसे बड़ा संकल्प 21000 कन्याओं का विवाह कराने का आज पूरा हो रहा है
