ब्रेकिंग
केंद्र सरकार कराऐगी जाति जनगणना PCC चीफ ने कहा, DGP का आदेश खाकी वर्दी का अपमान सांसद-विधायक को सैल्यूट करेगें पुलिस कर्मी, ये लोकतं... सीएम बोले- पाकिस्तानी नागरिकों को एमपी से जल्द बाहर करें: पुलिस अधिकारियों को अभियान चलाने के निर्दे... मंदसौर में तेज़ रफ़्तार कार कुऐ में गिरी 6 लोगों की मौत केंद्र सरकार का एक और सख्त फैसला, पाकिस्तानी हिंदुओं की चारधाम यात्रा पर रोक कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा ने अमित शाह को बताया शिव अवतार, बयान पर मचा बवाल, कांग्रेस-बीजेपी आमने-साम... केंद्र सरकार का बड़ा ऐलान: पाकिस्तानी हिन्दु , सिखो का वीजा रद्द नहीं होगा नवविवाहिता के साथ रेप कर हत्या, कमरे में निवस्त्र मिली लाश, जेठ पर आरोप कमरे में निवस्त्र मिली लाश,... पहलगाम हमले के बाद अमरनाथ यात्रा पर खतरा मंडराया, सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दाखिल मध्यप्रदेश में एक मई से होगे ट्रांसफर मुख्यमंत्री ने शिक्षण सत्र खत्म होने के बाद बताया तबादलों का क...
उत्तरप्रदेश

21 को घोषित कर दिया गया है निष्प्रयोज्य, अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही 3 कोठियां

हरदोई: हरदोई में ब्रिटिश शासन काल में जिले की शान कही जाने वाली नहर कोठियां उपेक्षा का शिकार हो गई हैं। जिले की 24 नहर कोठियों में 21 जर्जर और जमींदोज हो चुकी हैं। जो तीन बची हैं, उनमें से एक बावन में है। वह कोठी भी अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। सरकार के इस और ध्यान न दिए जाने से लाखों की संपत्ति बर्बाद हो रही है।जिले में सिंचाई के लिए ब्रिटिश शासन काल में नहर बनाई गई थी। नहर के किनारों से आसपास के जनपदों में आने जाने के लिए मार्ग बना हुआ था। शारदा नहर के किनारे ही नहर कोठियां बनाई गई थीं, जहां पर अंग्रेज अफसर रुकते थे और विभागीय कार्य निपटाते थे।1921 से 1925 में बनाई गई थी कोठियां1921 से 1925 में शारदा नहर के तहत जिले में 24 नहर कोठियां बनाई गई थी। इनमें जिला मुख्यालय बावन, सिकरोहरी, बालामऊ, बघौली, ढिकुन्नी, उमरापुर, संडीला, सरेहरी, पलिया, भरावन, समरेहटा, लमकन, महुआ चाचर आदि शामिल है। इन कोठियां की देखरेख के लिए चौकीदार और अन्य कर्मचारी भी तैनात थे। ब्रिटिश शासनकाल समाप्त होने के बाद शारदा खण्ड कार्यालय का कार्य चलता रहा और इन कोठियों का उपयोग प्रशासनिक अधिकारी और जनप्रतिनिधि करते रहे, लेकिन 2 दशक से इन नहर कोठियों की उपेक्षा शुरू हो गई।नहर कोठियों में तैनात कर्मचारी सेवानिवृत्त होते गए। वहीं उनकी मरम्मत के लिए बजट भी कम होता गया। नतीजन नहर कोठियां जर्जर अवस्था में पहुच गयी। वर्तमान में नहर कोठियो की देखरेख करने वाला कोई नहीं है। विभाग से बजट नहीं मिल रहा है। इससे 10 साल पहले 24 में से 21 नहर कोठियों को जर्जर और निष्प्रयोज्य घोषित कर दिया गया, जो अब खंडहर में तब्दील हो गई हैं।अस्तित्व बचाने में जुटी बावन नहर कोठीविभागीय आंकड़ों के अनुसार, बावन की नहर कोठी अभी सही है, लेकिन यहां तैनात चौकीदार के रिटायर होने से देखरेख करने वाला कोई नहीं है। इसकी भी दशा बजट के अभाव में खराब होती जा रही है। अगर देखरेख न हुई तो इस कोठी का भी जल्द ही अस्तित्व समाप्त हो जाएगा।

Related Articles

Back to top button