जनकपुर गांव में पहले दिन गाजे-बाजे के साथ निकली कलश यात्रा

टीकमगढ़: टीकमगढ़ जिला मुख्यालय से 5 km दूर जनकपुर गांव में शुक्रवार से श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन शुरू किया गया। धार्मिक समारोह के पहले दिन गांव में गाजे-बाजे के साथ त्रिदेव हनुमान मंदिर धजरई से कलश यात्रा निकाली गई। जिसमें महिलाओं ने सिर पर कलश रखकर मंगल गीत गाए। गांव का भ्रमण करने के बाद कलश यात्रा जनकपुर गांव स्थित देवीजी मंदिर पहुंची। जहां विधि-विधान से कलश स्थापना की गई। कथा के मुख्य यजमान बालकिशन ठेकेदार ने बताया कि 28 अक्टूबर से 3 नवंबर तक गांव के देवी जी मंदिर में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन होगा।कथा वाचक बुंदेलखंड पीठाधीश्वर महंत सीताराम दास महाराज ने कथा के पहले दिन कहा कि कलिकाल में मुक्ति का एकमात्र साधन श्रीमदभागवत कथा ही है। इसका श्रवण करने से पाप का नाश होता है। जीव को मुक्ति की प्राप्ति होती है। इसी क्रम में उन्होंने धुंधकारी की कथा सुनाते हुए बताया कि भागवत कथा श्रवण से धुंधकारी को प्रेत योनी से मुक्ति मिली। उन्होंने कहा कि मृत्यु को जानने से मृत्यु का भय मन से मिट जाता है। जिस प्रकार परीक्षित ने भागवत कथा का श्रवण कर अभय को प्राप्त किया। वैसे ही भागवत जीव को अभय बना देती है। श्रीमद्भागवत कथा परमात्मा का अक्षर स्वरूप है। यह परमहंसों की संहिता है। भागवत कथा हृदय को जागृत कर मुक्ति का मार्ग दिखाता है। भागवत कथा भगवान के प्रति अनुराग उत्पन्न करती है। यह ग्रंथ वेद, उपनिषद का सार रूपी फल है।शाम 5 बजे से होगी कथामुख्य यजमान ने बताया कि हर दिन शाम 5 बजे से श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन होगा। 3 नवंबर को समापन के अवसर पर भंडारे का आयोजन किया जाएगा।