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आगरा सुनीता तुम निर्जला रखती हो मेरी उम्र बढ़ाने को, मैं सौ जीवन न्योछावर करदूं साथ तुम्हारा पाने को : डॉक्टर सचिन मल्होत्रा
सुनीता तुम निर्जला रखती हो मेरी उम्र बढ़ाने को, मैं सौ जीवन न्यो( श्योपुर एक्सप्रेस कपिल गौतम आगरा) करवाचौथ, सुहागिन महिलाएं इस दिन व्रत रखकर अपने पति की लंबी आयु और खुशहाल जीवन की कामना करती हैं। व्रत के दौरान व्रती महिलाएं अन्न जल ग्रहण नहीं करती हैं। अखंड सौभाग्यवती भवः वो पतिव्रता स्त्री जो घर को महका देती है, अपना होने का अहसास परिवार को शक्तिस्वरूपा से सशक्त बना देती है। स्पर्श मल्होत्रा हॉस्पिटल के डायरेक्टर सचिन मल्होत्रा ने अखंड सौभाग्य के वरदान और पति-पत्नी में समानता के प्रतीक पर्व करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए बताया कि करवा चौथ व्रत कार्तिक मास की चतुर्थी के दिन महिलाएं इस व्रत को रखती हैं। इस व्रत को कार्तिक मास की चतुर्थी में रखने की वजह से इसे करवा चौथ का नाम दिया। मेहंदी को सुहागिनों के सौभाग्य की निशानी माना जाता है। करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए यह व्रत बड़े श्रद्धा भाव से रखती हैं। अखंड सौभाग्यवती के लिए सुहागिन महिलाएं इस दिन चंद्रमा की पूजा करके अपने पति के सामने इस व्रत को तोड़ती हैं। करवा चौथ के दिन जब चंद्रमा आकाश में दिखाई दे जाता है, तब सभी विवाहित महिलाएं जिन्होंने करवा चौथ का व्रत रखा है वह चंद्रमा को देखती हैं और चंद्रमा को देखते-देखते अपने सारी रस्में पूरी करती है। पूजा करते-करते वह मन में अपने पति की लंबी उम्र और हर मोड़ पर अपने पति का साथ देने के लिए वचन लेती है। करवा चौथ के दिन भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश भगवान और कार्तिकेय जी की पूजा करने का भी विधान है ऐसा माना जाता है कि इन सभी की पूजा करने से माता पार्वती प्रसन्न होती हैं और आशीर्वाद के रूप में जीवन में हमें सुख प्रदान करती हैं। इस कथा के अनुसार इसमें यह बताया गया है एक द्विज नामक ब्राह्मण थे। उनके 7 पुत्र व एक कन्या वीरावती थी। ऐसा बताया गया है कि वीरावती अपने मायके मैं पहली बार करवा चौथ का व्रत रखा था। यह व्रत निर्जला होने की वजह से वीरावती बहुत परेशान हो गई। उनको भूख प्यास लगने लगी उनके भाई ने उनकी पीड़ा देखकर उनसे रहा नहीं गया तब उन्होंने गांव के बाहर एक वट वृक्ष पर लालटेन जला दी और उन्होंने अपनी बहन को बताया कि चंद्रमा निकल आया है और चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपने व्रत को तोड़े। जैसे ही वीरावती ने अर्घ्य देकर भोजन करने के लिए बैठी। जैसे ही उन्होंने पहला निवाला मुंह में लिया उस पहले निवाले में उनके मुंह में बाल निकला। जैसे ही उन्होंने अपने मुंह में दूसरा निवाला रखा तब उन्हें छींक आ गई और जैसे ही उन्होंने तीसरा निवाला अपने मुंह में रखा तब वैसे ही ससुराल पक्ष से उनको बुलावा आ गया। वीरावती अपने ससुराल जैसे ही पहुंची उन्हें अपने पति की मृत्यु की खबर मिली अपने मृत पति को देखकर वीरावती रोने लगी यह देखकर इंद्राणी उनके पास आए और उनको 12 माह की चौथ व करवा चौथ का व्रत करने के लिए कहा।वीरावती ने पूरी श्रद्धा-भक्ति से करवा चौथ का व्रत रखा। करवा चौथ को पूरी भक्ति भाव से करने की वजह से उनको फल के रूप में उनके पति के प्राण वापस मिल गए। यही वजह है की पुरातन काल से ही सुहागिन महिलाएं करवा चौथ का व्रत अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती आ रही है। पुनः अखंड सौभाग्य के वरदान और पति-पत्नी में समानता के प्रतीक पर्व करवा चौथ की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।

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