एमपीपीएससी-2019 का परिणाम प्रोविजनल, राज्य सेवा आयोग ने लिखित में माना

इंदौर। चार साल के इंतजार के बाद जारी राज्यसेवा परीक्षा-2019 का अंतिम परिणाम असल में अंतिम नहीं है। लोकसेवा आयोग (पीएससी) ने मंगलवार देर रात परिणाम तो जारी कर दिया, लेकिन नियुक्ति को लेकर अभ्यर्थी आश्वस्त नहीं हो पा रहे हैं। ताजा परिणाम के साथ पीएससी ने प्रावधिक यानी प्रोविजनल शब्द का इस्तेमाल किया है। मंगलवार रात परीक्षाओं के परिणाम में पीएससी चयन सूची घोषित करता रहा है। इस परिणाम के साथ पीएससी ने पहली बार प्रावधिक अंतिम चयन सूची शब्द लिख दिया है। चयनित अभ्यर्थियों में घबराहट है कि कहीं नियुक्ति खटाई में न पड़ जाए।
घबराहट में चयनित अभ्यर्थियों
राज्यसेवा 2019 का परिणाम कुल 44 पन्नों में घोषित किया गया है। पहले पन्ने पर अब तक हुई परीक्षाओं व चयन प्रक्रिया का ब्योरा देते हुए पीएससी ने बिंदु क्रमांक छह में लिखा है कि प्रावधिक चयन सूची घोषित की जा रही है। प्रावधिक चयन सूची का शब्द पूरे परिणाम के साथ पहली बार उपयोग तो किया ही गया है, पीएससी ने इसे अंडर लाइन भी कर दिया है। कुछ ही महीनों पहले पीएससी ने राज्यसेवा परीक्षा-2020 का अंतिम परिणाम जारी किया था। इस परिणाम के साथ आयोग ने सिर्फ अंतिम चयन सूची शब्द लिखा था। बीते कई परिणामों में भी ऐसा होता रहा है।
परिणाम के सबसे अंतिम पन्ने पर आयोग के सचिव प्रबल सिपाहा के हस्ताक्षर के ठीक ऊपर पीएससी ने परिणाम पर टीप लिखी है। इसके चार बिंदुओं में स्पष्ट किया गया है कि कुछ रिक्तियों पर योग्य उम्मीदवार नहीं मिले और चयन सूची किस तरह व किन नियमों से बनाई गई है। पांचवें बिंदु में पीएससी ने चयन सूची के साथ प्रावधिक शब्द लिखने का कारण भी साफ कर दिया है। इस बिंदु में स्पष्ट रूप से लिख दिया है कि सुप्रीम कोर्ट में लगी दो याचिकाओं और उनसे संबद्ध याचिकाओं के साथ ही हाई कोर्ट में भी इस परीक्षा व प्रक्रिया को लेकर याचिकाएं लंबित हैं। घोषित किया गया चयन परिणाम इन याचिकाओं पर आने वाले कोर्ट के अंतिम निर्णय के अध्यधीन रहेगा।
घबराहट बेवजह नहीं
राज्यसेवा-2019 पीएससी की सबसे ज्यादा उलझी परीक्षा बन चुकी है। 2021 में मुख्य परीक्षा का परिणाम पीएससी घोषित कर चुका था। आयोग पर सिविल सेवा नियमों का पालन नहीं करने के आरोप लगे और हाई कोर्ट के एक निर्णय के बाद उस परिणाम को रद करना पड़ा। बाद में एक अन्य याचिका के निर्णय के बाद पीएससी ने नया परिणाम घोषित किया।
एक बार मुख्य परीक्षा होने के बाद 2700 से ज्यादा अभ्यर्थियों के लिए अलग से एक विशेष मुख्य परीक्षा आयोजित की गई। इसके बाद इंटरव्यू के लिए चयनित अभ्यर्थियों की नई सूची जारी कि जिसमें कुछ पुराने चयनित बाहर हुए और कुछ पूर्व में असफल चयन सूची में आ गए। इस बीच एक के बाद एक याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में दायर हुईं।
सुप्रीम कोर्ट में दायर तीन याचिकाओं में पीएससी की प्रक्रिया को दोषपूर्ण बताते हुए फिर से मुख्य परीक्षा करवाने की मांग की गई है। 34 अन्य अभ्यर्थी जो पहली चयन सूची में होते हुए बाद में बाहर होने पर भी प्रक्रिया के खिलाफ याचिका दायर कर चुके हैं। दो परीक्षाओं से एक चयन और नार्मलाइजेशन के फार्मूले पर भी याचिका लंबित हैं।
ऐसी ही कुछ याचिकाएं इंदौर और जबलपुर हाई कोर्ट में लंबित हैं, जिनमें पीएससी पर पूर्व में दिए कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करते हुए मनमानी प्रक्रिया करने के भी आरोप है। ऐसे में अब किसी एक भी याचिका का निर्णय यदि पीएससी के रुख के विरुद्ध आया तो पूरी चयन सूची रद होने या परिणाम बदलने की स्थित बन सकती है।
सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट में परीक्षा को लेकर विभिन्न याचिकाएं लंबित हैं। अंतिम चयन इन याचिकाओं पर आने वाले अंतिम निर्णय पर निर्भर करेगा, इसलिए आयोग ने इस बार चयन सूची के साथ प्रावधिक शब्द लिखा है।
रवींद्र पंचभाई, ओएसडी पीएससी