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दवा के नाम पर जनता से लूट, 700 का टीका 17000 तो 40 रुपये की गोली 4000 में बिक रही…

 पंजाब | स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने सदन में बताया कि उन्होंने 21 फरवरी को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को इस संबंध में एक पत्र भी लिखा है। इस पर उन्हें आगे कार्रवाई का भरोसा दिया गया है। उन्होंने कहा कि पंजाब में कैंसर की दवाओं पर भी 30 फीसदी से ज्यादा मार्जिन कमाया जा रहा है।

पंजाब में अनेक दवाओं को अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) से अधिक दामों पर बेचा जा रहा है। हालत यह है कि 700 रुपये कीमत का टीका (वैक्सीन) 17000 रुपये में बेचा जा रहा है और मात्र 40 रुपये की गोली 4000 रुपये में बेची जा रही है। यह मामला गुरुवार को पंजाब विधानसभा में विधायक डॉ. चरणजीत सिंह ने उठाया। उनके ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर सदन में लंबी चर्चा हुई। इस दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों ने महंगी दवाओं के जरिये हो रही लूट के कई मामलों को साझा किया। इस प्रस्ताव को सदन ने सर्वसम्मति से पारित कर दिया।

गुरुवार को सदन में गैर-सरकारी कामकाज का दिन था। इस दौरान सदस्यों ने विभिन्न मुद्दों पर कुल 10 प्रस्ताव पेश किए। पहले प्रस्ताव में सिफारिश की गई कि राज्य सरकार एमआरपी से अधिक दरों पर दवाओं की बिक्री से होने वाली लूट का मुद्दा केंद्र सरकार के समक्ष उठाए। प्रस्ताव पर बहस का समापन करते हुए स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने सदन में बताया कि उन्होंने 21 फरवरी को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को इस संबंध में एक पत्र भी लिखा है। इस पर उन्हें आगे कार्रवाई का भरोसा दिया गया है।

उन्होंने कहा कि पंजाब में कैंसर की दवाओं पर भी 30 फीसदी से ज्यादा मार्जिन कमाया जा रहा है। वहीं नॉन-शेड्यूल्ड दवाओं पर भी अंधाधुंध मुनाफा कमाया जा रहा है। दवाओं की महंगी बिक्री का एक अन्य तरीका ई-फार्मेसी के रूप में सामने आया है। इसमें खरीदार को दवा पर 25 फीसदी छूट के साथ आकर्षक ऑफर की पेशकश की जाती है। यह बाजार नियमित नहीं है और 10 रुपये की दवा का दाम 200 रुपये बताकर 50 फीसदी छूट के साथ बेची जा रही है। उन्होंने ई-फार्मेसी को नियमित करने की मांग भी उठाई।
डॉ. सिंह ने सदन में मौजूद सभी विधायकों से कहा कि वह अपने हलकों में जन-औषधि केंद्र खुलवाएं, जिसके लिए रोगी कल्याण समितियों और रेडक्रॉस से मदद ली जा सकती है। उन्होंने कहा कि इस समय राज्य में 25 जनऔषधि केंद्र चल रहे हैं और 16 अन्य की मंजूरी दे दी गई है। पंजाब में व्यवसाय कर रहीं कंपनियां अपनी सामाजिक जिम्मेदारी समझते हुए आगे आएं और अपने उद्योग स्थल के आसपास के 8-10 गांव के लिए आरओ लगाकर लोगों को साफ पेयजल मुहैया कराएं।

राज्य सरकार कुछ सेवाओं को आउटसोर्स करेगी लेकिन किसी प्राइवेट कंपनी को मेडिकल टेस्ट संबंधी कोई ठेका नहीं दिया जाएगा। सरकार अस्पतालों में दवाएं और टेस्ट मुफ्त उपलब्ध कराने की ओर बढ़ रही है और जल्दी ही इसके परिणाम सामने आएंगे।

इससे पहले, प्रस्ताव पर बहस में हिस्सा लेते हुए सत्ता पक्ष और विपक्ष के सभी सदस्यों ने एक स्वर में साधारण दवाओं पर जनता से लूट का आलोचना करते हुए केंद्रीय कानून की आवश्यकता पर जोर दिया। कुछ सदस्यों ने अपने हलकों में महंगी दवाओं की बिक्री का उल्लेख भी किया।

 

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