जांच की रफ्तार यदि यही रही तो फिर आरोपियों को दोषी कैसे ठहराएगी पुलिस?

जुंडला अनाज मंडी में 12.70 करोड़ रुपए का धान घोटाला। 22 दिन बाद मंडी सचिव पवन चोपड़ा गिरफ्तार। चार दिन के रिमांड के बाद न्यायिक हिरासत में। सरकारी धान खरीद में गड़बड़ी के स्कैम में कुल जमा बस यही अभी तक हुआ। जिस तरह से पवन को न्यायिक हिरासत में भेजने में पुलिस की जांच टीम ने जल्दबाजी दिखाई, इससे भी कई सवाल पैदा हो रहे हैं।जांच टीम ने पवन को पहले दो दिन के लिए रिमांड पर लिया। अभी एक दिन का रिमांड पूरा हुआ भी नहीं था कि उसे दोबारा से कोर्ट में पेश कर दो दिन का और रिमांड मांगा गया। अब जबकि पवन न्यायिक हिरासत में हैं, सोमवार को पूरा दिन पुलिस की जांच टीम ने इस मामले में ऐसा कुछ नहीं किया जिससे यह लगे कि मामले की जांच को लेकर गंभीरता बरती जा रही है।जबकि कायदे से होना तो यह चाहिए था कि इस स्कैम की जांच को पुलिस एक टॉस्क की तरह लेती। सिलसिलेवार हर कड़ी को जोड़ते हुए जांच काम आगे बढ़ाया जाता। जिससे जिले में पनप रहे फूड माफिया की गतिविधियों पर रोक लगती।राईस मिलो में जांच करती CM फ्लाइंग टीम की फाइल फोटो।मामले की जड़ बहुत गहरीक्योंकि यह स्कैम ऊपर से देखने में जितना साधारण लग रहा है, हकीकत में इसकी जड़ उतनी ही गहरी है। इसके तार उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान और मध्य प्रदेश से जुड़े हुए हैं। यह माफिया ऐसे राज्यों से चावल खरीदता है, जहां मंडी सिस्टम नहीं है। वहां से सस्ते दाम पर चावल खरीद कर उसे केंद्र सरकार के गोदाम में लगा दिया जाता है। एक सुनियोजित गिरोध इस काले धंधे में लगा हुआ है।मामले से जुड़े आढ़ती भी अबतक नहीं हुए चिन्हितजानकारों का कहना है कि लेकिन पुलिस की जांच जिस धीमी गति से चल रही है,इससे इस माफिया का राजफाश होने की संभावना बेहद कम है। अभी तक तो जुंडाला अनाज मंडी के वह आढ़ती भी चिन्हित नहीं किए गए, जिनके यहां धान की यह फर्जी खरीद दिखाई गई है। जब धान मंडी में था ही नहीं तो इसकी खरीद कैसे हुई? उस दौरान खाद्य आपूर्ति विभाग के अधिकारी कहां थे? उनकी भूमिका की जांच के बिना कैसे इस स्कैम की कड़ियां पुलिस जोड़ पाएगी?जुंडला मंडी का रिकार्ड खगालते CM फ्लाइंग की फाइल फोटो।असंध मंडी के मामले में भी जांच का यही हालअसंध मंडी में भी CM फ्लाइंग टीम ने इसी तरह की गड़बड़ को पकड़ा था, लेकिन इस मामले में भी अभी तक कुछ नहीं हुआ है। यहां तो दूसरे राज्यों का चावल भी पकड़ा था। इसके बाद भी इस मामले में ठोस कार्यवाही होती नजर नहीं आ रही है। जानकारों का कहना है कि धान खरीद में गड़बड़ी अकेले जुंडला या असंध मंडी में ही नहीं बल्कि जिला में 15 मंडी/परचेज सेंटरों पर किसी न किसी स्तर पर हुई है। इन सेंटरों पर 11 लाख क्विंटल धान की बिक्री की गई है बावजूद प्रशासनिक अधिकारियों की जांच जुंडला और असंध तक टिकी हुई है।खानापूर्ति के तौर पर प्रशासन की ओर से मार्केट मंडी बोर्ड के सचिवों को जांच के आदेश दिए गए हैं। लेकिन इंद्री, असंध, तरावड़ी, नीलोखेड़ी सहित करनाल के अधिकारियों के दामन को बचाने के प्रयास में हैं। जुंडला मंडी की जांच में पुलिस उलझ कर रह गई है जबकि जांच में आढ़तियों की मिलीभगत भी सामने आई लेकिन जांच पूछताछ तक सीमित होकर रह गई है।राइस मिल में धान के स्टॉक को चैक करती टीम की फाइल फोटो।मार्केट मंडी बोर्ड के अधिकारियों की कार्रवाई सुस्तधान का सीजन लगभग खत्म होने को है और DC की ओर से दो सप्ताह पहले मार्केट मंडी बोर्ड अधिकारियों को जांच के आदेश दिए थे। अधिकारियों ने कार्रवाई करते हुए घरौंडा मंडी का रिकार्ड खंगाला और दो आढ़तियों की फर्मों को संदेह के घेरे में भी लिया गया, लेकिन इसे भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।प्रशासन के लिए आसान नहीं बड़ी मछलियों तक पहुंचनाबीते वर्षों के आंकड़ों को देखें तो प्रत्येक धान के सीजन में घोटाला उजागर हुआ है और उसे दबा दिया जाता है। दीपावली बधाईयों के साथ ही विभाग की कार्रवाई भी ठंडी पड़ने लगी है और प्रशासन बड़ी मछलियों तक पहुंचने का प्रयास तक नहीं कर रहा है। करोड़ों रुपये के घोटाले को अंजाम देने वाले साफ निकल लेते हैं और कार्रवाई के नाम पर एक-दो को आरोपी बनाकर मामले को लंबा खींचने की कोशिश होती रहती है। इस बार भी यही हो रहा है।