मन मनुष्य का मित्र और दुश्मन, भगवद् गीता का ये सार बदल देगा आपका जीवन

इंदौर। भगवद् गीता का जन्म महाभारत काल के दौरान कुरुक्षेत्र के युद्ध के दौरान हुआ था। इस महाकाव्य के रचयिता भगवान कृष्ण हैं। यह एकमात्र ग्रंथ है जिसकी जयंती मनाई जाती है। इस साल गीता जयंती 22 दिसंबर को है। कहा जाता है कि जो लोग इस दिन गीता का पाठ करते हैं। उनका जीवन सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है।
भगवान कृष्ण द्वारा गीता में दिए गए उपदेशों का पालन करने से कठिन परिस्थितियों में सही निर्णय लेने की क्षमता विकसित होती है। गीता के उपदेशों में जीवन जीने की कला, प्रबंधन और कर्म के बारे में बताया गया है। आज हम आपको गीता के कुछ उपदेश बताने जा रहे हैं, जो आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकता है।
- नर्क के तीन द्वार हैं- काम, क्रोध और लोभ। इन तीनों को त्याग दो।
- मैं उस व्यक्ति से प्यार करता हूं जो खुशी के पीछे नहीं भागता, दर्द से नहीं भागता, शोक नहीं मनाता या वासना के पीछे नहीं भागता। चीजों को वैसे ही स्वीकार करता है जैसे वे हैं।
- शांति, नम्रता, मौन, आत्म संयम और शुद्धता मन के अनुशासन हैं।
- सच्चे बुद्धिमान लोग जीवित या मृत लोगों के लिए शोक नहीं मनाते।
- मन मनुष्य का मित्र और दुश्मन दोनों है।
- जिसका जन्म हुआ है उसकी मृत्यु निश्चित है। इसलिए जो मर गया उसके लिए शोक मत करो।
- गीता में श्रीकृष्ण अर्जुन से कहता हैं कि मैं शुद्ध जल का स्वाद, सूर्य और चंद्रमा की चमक हूं। मैं पवित्र शब्द और हवा में सुनाई देने वाली आवाज और मनुष्य का साहस हूं। मैं एक मीठी खुशबू हूं। मैं पृथ्वी और अग्नि का तेज हूं। मैं हर प्राणी में जीवन हूं और आध्यात्मिक साधक का प्रयास हूं।
गीता जयंती पर इन मंत्रों से करें भगवान कृष्ण की पूजा
हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे।
हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे।।
ओम नमो भगवते श्री गोविंदाय नमः।
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