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इंटर स्कूल कराटे चैंपियनशिप प्रतियोगिता में लगभग 27 स्कूलों के बच्चों ने लिया भाग
अपनी कला शौर्य का प्रदर्शन कर उपस्थित लोगों को रोमांचित कर दिया

देहली। जिले के नजफगढ़ मे इस ऐतिहासिक सफल कार्यक्रम के लिए स्पोर्ट्स कराटे डू असोसीएशन महासचिव व स्पोर्ट्स कमीशन सेक्रेटेरी ओफ़ इंडिया शिहान सुनील सैनी न आयोजन मंडल के सभी महा अनुभाव एवं उनकी पूरी टीम को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं और कहा कि एस प्रतियोगिता साई कराटे अकैडमी से 15 खिलाड़ीयो न भाग लिया गुरुग्राम से भाग लेने वाले खिलाड़ियों के नाम इस प्रकार आत्मन जैन आयु 10 भारवर्ग -40 स्वर्ण / रजत पदक सलम हिल्स स्कूल गुरुग्राम लकी मनीदास आयु 18 भारवर्ग-45 स्वर्ण पदक,
देविशा सिंह आयु 8 भारवर्ग -37 स्वर्ण पदक, ब्लू बल्स स्कूल गुड़ग्राम कृष्णा शर्मा आयु 12 भारवर्ग-40 स्वर्ण पदक, सिद्धेश्वर स्कूल गुड़ग्राम वैदिक आयु 6 भारवर्ग -25 स्वर्ण पदक, ब्लू बल्स स्कूल गुड़ग्राम नयशा सिंह आयु 14 भारवर्ग-45 स्वर्ण पदक, लैफ्टिनेंट अतुल कटारिया स्कूल गुरुग्राम पृषा शारण आयु 16 भारवर्ग-56 स्वर्ण पदक,
ध्रुव पब्लिक स्कूल जय विहार नई दिल्ली अनलेस आयु 11 भारवर्ग-32 स्वर्ण पदक, सुचेता मेमोरियल स्कूल गुड़ग्राम हार्दिक यादव आयु 9 भारवर्ग 34 रजत पदक, श्री मां मोंटेसरी इंटरनेशनल स्कूल, आशिका गोदरा आयु 14 भारवर्ग-45 कांस्य रजत पदक, मोरिया स्कूल गुड़ग्राम सुदीक्षा सिंह आयु 9 भारवर्ग 23 रजत पदक, सेट माइकल स्कूल गुरुग्राम चाहत अग्रवाल आयु 12 भारवर्ग 29 कांस्य पदक, लैफ्टिनेंट अतुल कटारिया स्कूल गुरुग्राम निधि कटारिया आयु 14 भारवर्ग 69 कांस्य पदक, सेट माइकल स्कूल गुरुग्राम काजल शर्मा आयु 19 भारवर्ग 47 कांस्य पदक, एस.सी.आर स्कूल गुड़ग्राम टीम की महिला कोच लकीमणि दास ने भूमिका निभाई।
कराटे में मानव शरीर पंच, ब्लॉक और किक की तकनीकों के जरिए आत्मरक्षा के सबसे प्रभावशाली तरीके सीखता है। यह किसी व्यक्ति के तन और मन दोनों को संतुलित करता है,कराटे एक जापानी मार्शल आर्ट तकनीक है, जिसमें अपनी रक्षा के लिए किए जाने वाले हमले और जवाबी हमले के लिए किए जाने शारीरिक मूवमेंट को समान रूप से विकसित करने की आवश्यकता होती है। हालांकि यह खेल एक व्यक्ति को हमला करने और आत्मरक्षा की कला सिखाता है, लेकिन इसका एकमात्र मकसद आत्म-सुधार है। कराटे में मुकाबला जीतना ही एकमात्र लक्ष्य नहीं है। इसमें मानव शरीर ब्लॉक, पंच और किक की तकनीकों के जरिए आत्मरक्षा के सबसे प्रभावशाली तरीके सीखता है।कराटे में अनुशासन, दिमागी संतुलन और नियमित रूप से सीखने की ललक को जारी रखना इसके कुछ अहम पहलू हैं। कराटे में ‘कारा’ शब्द का अर्थ है खाली और ‘ते’ का अर्थ है हाथ। कराटे के बाद ‘डो’ जोड़ देने से कराटे-डो हो जाता है, जिसका अर्थ खाली हाथों से खुद का बचाव करना होता है। देव समाज विद्या निकेतन के मैनेजर के.आर नटराजन और प्रधानाचार्य सुधीर महेश्वरी सभी खिलाड़ियों को बहुत बहुत शुभकामनाएं दी और कहा कि ये ज़िंदगी एसे मेहनत से आगे बढ़ते रहे हैं और स्कूल नाम एसे ही चमकाते रहे हैं।