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चुनाव से पहले भाजपा में बगावत की लहर, कौन-कौन बचाएगा भाजपा की डूबती नैया अटेर में मुन्ना ने चलाई साइकिल, तो भाजपा नेता अरबिंद भदौरिया की उड़ी नीद।
(भगवान सिंह भदौरिया) भिंड। भाजपा की चौथी - पांचवी सूची जारी होते ही संगठन से जुड़े भाजपा के नेताओ ने पार्टी से बगावत कर दी है। भिण्ड विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के सक्रिय कार्यकर्ता रहे रक्षपाल सिंह कुशवाह ने पार्टी से बगावत कर बहुजन समाज पार्टी की सदस्यता लेते ही बसपा हाईकमान ने रक्षपाल सिंह को प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतार दिया है। इसके साथ ही भाजपा के पूर्व विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह का भाजपा से टिकिट फाइनल होते ही संजीव सिंह संजू के समर्थकों ने भाजपा के बरिष्ट नेताओ का पुतला जलाकर मुर्दाबाद के नारे लगाय। संजीव सिंह संजू विधानसभा चुनाव 2013 में भाजपा से टिकिट न मिलने के चलते बगावत कर बसपा का दामन थामकर हार का सामना करना पड़ा था, फिर 2018 विधानसभा चुनाव में संजू को बसपा ने फिर प्रत्याशी बनाकर चुनावी मैदान में उतारा तो उन्हें 69 हजार वोट लेकर लंबे अंतर से विजय घोषित हुये। हाल ही में बसपा छोड़ भाजपा में शामिल हुए संजीव सिंह संजू ने टिकिट की दौड़ से पीछे रहने पर भाजपा पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। ओर जनता के सामने चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। वही कांग्रेस से पूर्व मंत्री चौधरी राकेश सिंह का टिकिट फाइनल होते भिण्ड विधान सभा में कांग्रेस कार्यकर्ताओ खुशी की लहर के चलते शहर में मिठाई खिलाकर खुशी का इजहार किया। कांग्रेस ने पूर्व मंत्री चौधरी राकेश सिंह 1990 में कांग्रेस से पहली बार चुनाव लड़कर विधायक बने, इसके बाद वो 1998 विधायक बने ओर 2008 में कांग्रेस सरकार में मंत्री बने, अग्रिम पंचवर्षी चुनाव में उंन्होने कांग्रेस छोड़ दी। और कांग्रेस से राधेश्याम को टिकिट मिला और उनकी हार हुई। भाजपा से नरेंद्र सिंह कुशवाह विजय हुए, भाजपा ने 2018 में चौधरी राकेश सिंह पर भरोसा जताकर भाजपा से टिकिट दिया, लेकिन बसपा से संजीव सिंह संजू ने भाजपा कांग्रेस और सपा को बहुत पीछे छोड़कर विजय हुए। अब कांग्रेस ने 2023 विधान सभा चुनाव में चौधरी राकेश सिंह को एक बार फिर भरोसा जताकर मैदान में उतार दिया है। अटेर में भाजपा ने पूनः बनाया अरबिंद सिंह भदौरिया को प्रत्याशी.... ------------------------- भाजपा ने अटेर विधान सभा से अरबिंद सिंह भदौरिया को पुनः प्रत्याशी बनाते ही भाजपा के बरिष्ट नेता एवं पूर्व विधायक मुन्ना सिंह भदौरिया ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। भाजपा से बगावत कर रहे अटेर से दो बार के विधायक रहे मुन्ना सिंह भदौरिया को यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश सिंह यादव की साइकिल पर सवार होकर चुनाव मैदान में है जिससे भाजपा नेताओ की नींद हराम हो गई है। यहां आपको बता दे 1990 मे मुन्ना सिंह भदौरिया विधायक बने, फिर उसके बाद 1993 दिग्गविजय सिंह की सरकार में मुन्ना सिंह चुनाव हारे, 1998 में दिग्गविजय सिंह की सरकार में भाजपा से पुनः विधायक बने, फिर 2003 फिर चुनाव लड़कर हार का सामना करना पड़ा। उसके बाद भाजपा ने इन्हें टिकिट नही दिया, लेकिन मुन्ना सिंह भदौरिया ने जनता बीच निरंतर सम्पर्क बनाए रखा ओर 2023 में अखिलेश की साइकिल पर सवार होकर भाजपा नेताओं की नींद हराम कर दी है। पूर्व में मुन्ना सिंह भदौरिया निवाड़ी में प्रभारी रहे, वर्तमान में जिला प्रभारी टीकमगढ़ है। ओर पूर्व में अम्बाह, पृथ्वीपुर में चुनाव प्रभारी रहते हुये भाजपा को जीत दिलवाई थी। पूर्व विधायक हेमन्त कटारे को कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाकर चुनावी मैदान में उतारा है। हेमन्त 2017 में उप चुनाव जीते थे, फिर 2018 विधान सभा चुनाव में पुनः कांग्रेस ने टिकिट दिया, और भाजपा के अरबिंद सिंह भदौरिया के सामने हार का सामना करना पड़ा। 2020 के उप चुनाव में मेहगांव से कांग्रेस पार्टी ने हेमंत कटारे पर भरोसा जताया, लेकिन भितरघात के चलते हेमन्त को हार का सामना करना पड़ा, ओर मेहगांव से ओपीएस भदौरिया को विजय हासिल हुई। अब कांग्रेस पार्टी ने अटेर से भरोसा जताते हुये पुनःहेमंत कटारे को अपना प्रत्याशी बनाया है। मेहगांव विधान सभा क्षेत्र के चुनावी दंगल में कांग्रेस भाजपा ने फिर बदले चेहरे ----------------- ------------ भाजपा और कांग्रेस ने फिर चेहरा बदल दिया है। भाजपा टिकिट की दौड़ में चल रहे मंत्री ओपीएस भदौरिया, केपी सिंह भदौरिया व मुकेश चौधरी पर विश्वाश न जताते हुये पूर्व विधायक राकेश शुक्ला को चुनावी मैदान में उतारकर भरोसा जताया है। वही कांग्रेस के युवा नेता राहुल सिंह भदौरिया को कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाकार भरोसा जताया है। राहुल सिंह भदौरिया नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह के भांजे है। जो आरआई पद से इस्तीफा देकर कांग्रेस पार्टी में सक्रिय रहे है। भाजपा की प्रथम सूची में लाल सिंह आर्य बने प्रत्याशी ------------- -------- गोहद विधान सभा चुनाव में भाजपा की प्रथम सूची मे पूर्व मंत्री लाल सिंह आर्य को प्रत्याशी बनाया है, भाजपा के लाल सिंह आर्य के सामने कांग्रेस ने नये चेहरे के रुप में जिला पंचायत सदस्य केशव देसाई पर दाव खेला है। लहार में फिर हुई भाजपा में बगावत ------------------------- लहार विधान सभा चुनाव में भाजपा में गुटबाजी के चलते पूर्व विधायक रसाल सिंह ने पार्टी से बगावत कर डाली ओर बहुजन समाज पार्टी में शामिल हो गए। बसपा ने भरोसा जताकर रसाल सिंह को प्रत्याशी बनाकर चुनावी मैदान मे उतार दिया है। वही भाजपा प्रत्याशी अंबरीश शर्मा पर चुटकी लेते हुये कहा कि पिछली विधान चुनाव में जिस पार्टी से चुनाव लड़ा है, उसमें पांच साल तक तो रह लेते, यहां आपको बता दे कि 2018 में विधानसभा चुनाव में अंबरीश शर्मा भी भाजपा से बगावत कर बसपा से चुनाव लड़ चुके थे। कांग्रेस पार्टी ने नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह को फिर एक बार प्रत्याशी बनाया हुआ है। डॉ. गोविंद सिंह 7 बार विधायक रह चुके है। ओर अब 8वी बार चुनाव मैदान में है। डॉ..गोविंद सिंह 1990 से अब तक लहार विधान सभा का प्रतिनिधित्व कर रहे है।। *सपा और बसपा ने भिण्ड जिले में कई बार बिगाड़े अन्य दलों के समीकरण* विधान सभा चुनाव नजदीक आते ही मध्यप्रदेश के पड़ोसी राज्य यूपी से बहुजन समाज वादी पार्टी का हाथी घुस आया है। जो भिण्ड, लहार व अन्य विधान सभा क्षेत्रो में दंगल- दंगल खेलने लगा है। यहाँ आपको बता दे की 1993 में यह हाथी भिण्ड होते हुये मेहगांव, गोहद विधान सभा चुनावो में दंगल से मंगल कर दिया था। 1993 हुए विधान सभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी रहे नरेश गुर्जर विजय हुए थे। इसके साथ ही गोहद से बहुजन समाज वादी के प्रत्याशी रहे चतुरी सिंह वरहदिया अच्छे खासे वोटो से विजय हुये थे। फिर 2018 भिण्ड में अखिलेश की साइकिल ने कांग्रेस भाजपा की हालत खराब कर बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी रहे संजीव सिंह कुशवाह को 69 हजार वोट मिले, ओर वो 35 हजार से अधिक मतों से विजय हुये थे।
