तय समय से पहले लबालब भरा तवा डैम, अब खेतों को मिलेगा पर्याप्त पानी

इटारसी। देर से ही सही नर्मदांचल में मेहरबान हुए मानसून ने क्षेत्र में पानी की कमी को पूरी तरह दूर कर दिया है। पिछले एक सप्ताह में हुई तेज वर्षा के कारण यहां सूखे का खतरा टल गया है, यह वर्षा भी किसानों की उपज के लिए अमृत बनकर बरसी है, इससे सिंचाई विभाग के साथ ही किसानों के चेहरे भी खिल गए हैं। तवा बांध के कैचमेंट एरिया पचमढ़ी, सारणी, बैतूल, मटकुली में भी अच्छी वर्षा के कारण तवा बांध का पेट भर गया है। बांध 30 सितंबर से पहले ही लबालब हो चुका है।
दो दिन पहले लबालब हुआ बांध
तवा बांध के जलभराव क्षेत्र का पूरा हिस्सा 100 प्रतिशत भरा गया है। तवा बांध में इन दिनों चारों ओर अथाह जलराशि नजर आ रही है। अधिकारियों के अनुसार 30 सितंबर तक तवा का निर्धारित जलस्तर 1166 फुट पानी का है, जो बुधवार को दर्ज हो गया है, हालांकि तवा बांध के गवर्निंग लेबल के हिसाब से 15 सितंबर तक इसमें 1165 फुट जलस्तर होना चाहिए, लेकिन 13 सितंबर को ही यह सौ फीसद भर चुका है। शाम 4 बजे तवा बांध का जलस्तर 1166 फुट हो गया है, जो बांध का अंतिम निर्धारित जलस्तर है, इससे अधिक पानी होने पर अब बांध छलकने को तैयार रहेगा, यानि बांध के गेट खोलकर अतिरिक्त पानी डिस्चार्ज किया जाएगा।
आगामी सभी फसलों के लिए पर्याप्त पानी
अधिकारियों के अनुसार अब सूखे जैसी चिंता नहीं है, आगामी सभी फसलों के लिए तवा बांध से पर्याप्त पानी हरदा-नर्मदापुरम जिले को दिया जा सकता है। पिछले दिनों अल्पवर्षा से सूख रही धान एवं दलहन फसलों के लिए बांध से नहरों में 1 हजार क्यूसेक पानी पहले ही दिया जा चुका है। बुधवार को बांध के कैचमेंट एरिया में वर्षा नहीं हुई है, बैतूल और पचमढ़ी में भी वर्षा अपेक्षाकृत कम बताई गई है।
बांध से जल विद्युत उत्पादन के लिए एचइजी पावर हाउस को 3600 क्यूसेक पानी दिया जा रहा है, इधर बांध के सभी गेट बंद हैं, बढ़ते जलस्तर को लेकर तवा परियोजना के अधिकारी सतर्क हैं, साथ ही कैचमेंट एरिया में होने वाली वर्षा पर नजरें गढ़ी हुई हैं, यदि आने वाले दिनों में तेज वर्षा होती है तो बांध के गेट खोलकर पानी छोड़ा जा सकता है।
जलस्तर बढ़ने पर खोले जाएंगे गेट
इस संबंध में एसडीओ एनके सूर्यवंशी ने बताया कि अभी बांध का निर्धारित जलस्तर आ गया है, साथ ही पावर हाउस को पानी दिया जा रहा है, अभ गेट खोलने जैसी कोई स्थिति नहीं बनी है। 15 सितंबर के बाद तेज वर्षा होती है, साथ ही बांध में जलस्तर बढ़ोतरी हुई तो गेट खोले जा सकते हैं। इस साल वैसे भी पानी की कमी के चलते बांध के गेट सिर्फ दो बार ही खोले गए हैं।