23 जुलाई से वक्री हो रहे हैं शुक्र देव अगले 43 दिनों तक इन राशियों पर पड़ेगा प्रतिकूल असर

ज्योतिष शास्त्र में फलकथन का विचार करते समय ग्रहों के गोचर को काफी महत्व दिया जाता है। खास तौर पर वक्री ग्रह की अहम भूमिका मानी जाती है। कुंडली में प्रेम और ऐश्वर्य के कारक ग्रह, शुक्र 23 जुलाई की सुबह 6 बजकर 01 मिनट पर सिंह राशि में वक्री होने जा रहे हैं। शुक्र जब वक्री स्थिति में आते हैं तो जातक को मिले-जुले परिणाम देते हैं। इसकी वजह से भौतिक सुखों में कमी आ सकती है, प्रेम संबंधों में तनाव आ सकता है या रिश्तों में तनाव पैदा हो सकता है।
वक्री होने का अर्थ
कोई भी ग्रह विशेष जब अपनी सामान्य दिशा की बजाए उल्टी दिशा यानि विपरीत दिशा में चलना शुरू कर देता है तो ऐसे ग्रह की इस गति को वक्री कहा जाता है। दरअसल, ग्रहों का पथ अंडाकार होने से पृथ्वी की गति से जब अन्य ग्रहों की गति कम होती है, तब वे विपरीत दिशा में चलते हुए प्रतीत होते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार वक्री चाल चलते समय ग्रह अपने नियत स्वभाव के अनुसार फल देने की बजाय उससे अलग फल भी देते हैं। जब भी कोई ग्रह वक्री होता है तो पृथ्वी के करीब होने की वजह से इसका सीधा प्रभाव राशियों पर पड़ता है।
क्या होगा असर?
वक्री होने पर शुक्र के शुभ या अशुभ फल देने के स्वभाव में कोई अंतर नहीं आता। यानी अगर आपकी कुंडली में शुक्र शुभ स्थिति में हों या शुभ भावों के स्वामी हों, वक्री स्थिति में भी शुभ फल ही प्रदान करेंगे। वहीं अशुभ स्थिति में होने पर, वक्री स्थिति में इनके अशुभ परिणामों में वृद्धि हो सकती है। वक्री शुक्र आम तौर पर कुंडली धारक को अधिक संवेदनशील बना देते हैं। ऐसे लोग अपने प्रेम संबंधों तथा अपने जीवन साथी को लेकर बहुत भावुक, तथा अधिकार जताने वाले होते हैं। महिलाओं की जन्म कुंडली में वक्री शुक्र उन्हें आक्रमकता प्रदान करता है। इसके अलावा भौतिक सुखों में कमी आ सकती है। वाहन, शय्या या कार्यक्षेत्र से जुड़ी परेशानियां बढ़ सकती हैं।
डिसक्लेमर
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