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उज्जैन महाकाल लोक में आंधी बारिश में सप्त ऋषि की लगी 06 मूर्तियां टूटी लागत और गुणवत्ता पर उठे सवाल सही साबित हुए।

उज्जैन : मूर्तियों या यूं कहें कि लागत और गुणवत्ता पर सवाल तो पहले से ही उठने लगे थे। गुजरात की एमपी बावरिया कंपनी ने इन मूर्तियों का निर्माण फाइबर रेन फोर्स प्लास्टिक (एफआरपी) से बनाया था। जिसकी असल और कागज़ी लागत में आ रहे अंतर पर सवाल उठे थे। तीन चरणों में पूर्ण होने वाले इस लोक के प्रथम चरण में 156 से अधिक देवी देवताओं की मूर्तियां लगी हैं। जिनकी लागत 310 करोड़ बताई जा रही है। वहीं अगले दो चरणों का काम 778 करोड़ से होगा। लेकिन पहले चरण के कामों पर लग रहे भृष्टाचार के आरोपों को सही साबित करके रख दिया है। *विधानसभा में गूंजा मामला लोकायुक्त की जाँच में उलझा...* तराना विधायक महेश परमार ने महाकाल लोक में हुए भृष्टाचार के मामले को विधानसभा में पहले ही उठाया था जहाँ मंत्री ने गोल मोल जवाब दे कर इतिश्री कर ली थी। इसके बाद विधायक परमार ने लोकायुक्त में इस भृष्टाचार की शिकायत की थी जिसमें तात्कालीन निगमायुक्त सहित पंद्रह अफसर जाँच की जद में आए हुए हैं। जो मुँह छिपा कर पेशी तारीख़ पर जाते हैं। हालांकि इस जाँच का अंत क्या होगा ये सर्वविदित है लेकिन जो हुआ है वो तो हुआ ही है। इस महाकाल लोक में कईयों के व्यारे न्यारे हो गए हैं। *हिन्दू हितैषी या विरोधी..????.* यहाँ ये भी ग़ौरतलब है कि स्मार्टसिटी के दोयमदर्जे के कामों की पोल खुल रही है। अभी सप्ताहभर पहले ही मोक्षदायिनी क्षिप्रा नदी में कलकल करता बड़ा नाला हजारों गेलन गंदा पानी घण्टों तक नदी में बहाता रहा। वहीं दो दिन पहले मास्टर प्लान के जारी होने से सिंहस्थ क्षेत्र पर आवासीय होने की मोहर लगा कर सरकार ने अपनी मंशा ज़ाहिर कर दी है। जिससे साधु संतों में भी भारी आक्रोश है। समझ नहीं आ रहा हिन्दू हितैषी सरकार है या विरोधी। *जिम्मेदारों का तर्क....* इन मूर्तियों का निर्माण करने वाली एमपी बाबरिया कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर संजय पटेल का कहना है कि तेज हवा के बवंडर ने मूर्तियों के अंदर के स्ट्रक्चर को तोड़ के रख दिया जिससे ये हुआ। उन्होंने ये माना कि मूर्तियों में माइल्ड स्टिल का ज्वाइंट कमज़ोर पड़ने से ऐसा हुआ। लेकिन अब स्टील के साथ कांक्रीट का उपयोग करेंगे। *आँधी है जिम्मेदार... जाँच काहे की...* इस मामले में कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम का कहना है कि आँधी के कारण मूर्तियां क्षतिग्रस्त हुई हैं इसमें जाँच की कोई जरूरत नहीं है। भविष्य में पत्थर की मूर्तियां लगनी हैं।

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