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राजस्व अमला योजनाओं में व्यस्त एक-दो सीमांकन ही हो पा रहे रोज

इंदौर। जिले का राजस्व अमला लाड़ली बहना योजना समेत अन्य को मूर्तरूप देने में लगा है। ऐसे में नामांकन, सीमांकन, बंटाकन आदि के प्रकरण अटक गए हैं। इनके हजारों प्रकरण तहसील कार्यालयों में पैंडिंग पड़े हैं। बताया जा रहा है कि प्रतिदिन एक-दो ही सीमांकन आदि के प्रकरण निपट पा रहे हैं।

विभागीय जानकारी अनुसार जिले में सीमांकन करने के लिए 15 से ज्यादा मशीनें हैं, लेकिन तहसीलदार, पटवारी से लेकर पूरा राजस्व अमला सरकारी योजनाओं के प्रचार-प्रसार और मूर्त रूप देने में लगा है। इसके चलते काश्तकारों से लेकर आम लोग तहसील कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उनके काम नहीं हो पा रहे हैं। यहां तक कि लोगों के सामान्य कार्य भी अटक गए हैं।

शहर सीमा का विस्तार तेजी से हो रहा है, शहरों में जमीनों की कीमतें अधिक होने के कारण शहरी सीमा में शामिल किए गांवों में कॉलोनियां काट रहे हैं। लोगों की भी इन प्रोजेक्टों में रूचि बढ़ती जा रही है। इसलिए सीमांकन आदि के प्रकरण भी बड़ी संख्या में तहसील कार्यालयों में फाइल हो रहे हैं। हालांकि इन प्रकरणों का समय पर निराकरण नहीं हो पा रहे हैं, इसलिए जिले की सभी तहसील कार्यालयों में हजारों प्रकरण पैंडिंग पड़े हैं। प्रकरणों के अधिक संख्या में पैंडिंग होने का एक कारण यह भी है कि तहसीलों का क्षेत्र बढ़ गया है और राजस्व अमले की कमी है।

विभागीय जानकारी के अनुसार प्रत्येक तहसील में दो-तीन आरआई हैं, जबकि इनकी संख्या चार होना चाहिए। कुछ दिनों पूर्व ही कई राजस्व निरीक्षकों (आरआई) का प्रमोशन कर दिया गया। साथ ही उनका ट्रांसफर भी हो गया है। इसके बाद आरआई की कमी हो गई है। जानकारी यह भी समाने आयी है कि ऐसे में आरआई पर वर्कलोड़ बहुत बढ़ गया है। हालांकि आरआई का बहुत सा काम पटवारी भी कर रहे हैं, क्योंकि उनकी संख्या अच्छी है। कुछ पटवारी तो मशीनों से सीमांकन आदि कार्य को भी अंजाम दे रहे हैं।

उधर, प्रदेश सरकार प्रतिदिन एक न एक नई योजना की घोषणा कर रही है। ऐसे में संजीवनी क्लीनिक, लाड़ली बहना योजना, मेट्रो रेल प्रोजेक्ट जैसी कई योजनाओं को मूर्त रूप देने में राजस्व अमला जुटा हुआ है। मेट्रो प्रोजेक्ट, संजीवनी क्लीनिक आदि के लिए जमीनों का सीमांकन प्रतिदिन किया जा रहा है।

नामांकन, सीमांकन तेजी से निपटान हैं

सरकार द्वारा जन सेवा अभियान का दूसरा चरण शुरू कर दिया गया है। इसमें नामांकन-सीमांकन आदि प्रकरण तेजी से निपटाने हैं, लेकिन आरआई-पटवारी की व्यस्ता के चलते उतनी तेजी से इन प्रकरणों का निराकरण नहीं हो पा रहा है। शहर को बड़े राजस्व अमले की जरूरत है।

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