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ग्वालियर 10 साल से मारपीट रहा था बेटा, DSP ने समझाया, अब दबा रहा मां के पैर
ग्वालियर। डीएसपी ने बुजुर्ग को उसके घर पहुंचाया और उसके बच्चों को समझाया तो बेटा-बहू पैर दबाते हुए ग्वालियर सहित पूरे देश में रविवार (14 मई) को मदर्स डे मनाया जा रहा है। पर सही मायने में इसे सेलिब्रेट SDOP घाटीगांव संतोष पटेल ने किया है। उन्होंने 10 साल से परेशान एक बुजुर्ग आदिवासी मां को उसका हक दिलाया है। बुजुर्ग मां के बेटा-बहू दस साल से उसे प्रताड़ित कर मारपीट करते थे। हाइवे पर लगी दो बीघा जमीन (कीमत लगभग एक क रोड़ रुपए) छीनकर मां को घर से निकाल दिया था। एक मां दर-दर की ठोकरें खाकर सड़क किनारे बैठी थी। SDOP पटेल की गाड़ी देखकर बुजुर्ग महिला गाड़ी के सामने आ गई। इसके बाद पूरे मामले को समझ SDOP खुद महिला के घर पहुंचे और उसके बेटा-बहू की क्लास ले डाली। देखते ही देखते बेटा-बहू की नफरत, प्यार और सम्मान में बदल गई। बहू और बेटे ने मां के पैर भी दबाए और कसम भी खाई कि कभी मां को परेशान नहीं करेंगे। अपने सरकारी वाहन में बुजुर्ग को उसके घर ले जाते एसडीओपी घाटीगांव अपने सरकारी वाहन में बुजुर्ग को उसके घर ले जाते एसडीओपी घाटीगांव इस तरह है पूरा मामला ग्वालियर के घाटीगांव स्थित भट्ट का पुरा निवासी 70 वर्षीय काशी पत्नी भंता सहरिया, आदिवासी परिवार से ताल्लुक रखती है। उसके तीन बेटे हैं। 11 साल पहले पति का देहांत हो गया था। उसके बाद से बेटा पंजाब सहरिया, बहू मीना सहरिया उसे बीते 10 साल से प्रताड़ित कर रहे हैं। बुजुर्ग मां की हालत अब ऐसी नहीं है कि वह बाहर जाकर मजदूरी करे। बेटे ने दो मकान बेच दिए। हाइवे पर बुजुर्ग के नाम दो बीघा जमीन है जिसकी वर्तमान में कीमत लगभग एक करोड़ रुपए है उसे भी हथियाने के लिए बेटा ने मारपीट कर मां को घ से निकाल दिया। अपने और भाई बहन को भी उसने कुछ नहीं दिया। जब घर से बेघर हुई काशी तो उसने ठान ली कि अब बेटे को सबक सिखाएगी। बेटा और बहू पर कड़ी कानूनी कार्रवाई के लिए आवेदन भी टाइप करा लिया। पर मां तो आखिर मां होती है। बेटा चाहें जितना नीचे गिर जाए पर मां हमेशा उसे खुश देखना चाहती है। SDOP घाटीगांव संतोष पटेल के पास पहुंची काशी सहरिया ने पूरी आपबीती सुना दी। पुलिस ने कहां चलो मामला दर्ज कर दें तो कहने लगी बेटा को तकलीफ तो नहीं होगी। एक मां का दर्द SDOP पटेल समझ गए। मां एक्शन भी चाहती थी और बेटा को जेल भी नहीं भिजवाना चाहती थी। पहले अपने घर पर नाश्ता कराया, एक्शन लिया सबसे पहले मदर्स डे के मौके पर SDOP घाटीगांव संतोष पटेल ने आदिवासी मां को समझाया कि मुझे वह अपना बेटा ही समझे मेरा घर हमेशा आपके लिए खुला है। सबसे पहले अपने घर पर बैठाकर काशी सहरिया को नाश्ते में दही के बड़े और रसगुल्ला खिलाया। बुजुर्ग इतनी निर्दोष और मासूम होने के साथ-साथ दुनिया दारी से दूर थी कि उसे दही बड़े और रसगुल्ला तक नहीं पता थे क्या होते हैं। इसके बाद उस मां के लेकर SDOP पटेल उनके गांव भट्ट का पुरा पहुंच गए। 10 साल की प्रताड़ना 10 मिनट में खत्म SDOP पटेल ने बुजुर्ग महिला के घर पहुंचकर उसके बेटे पंजाब और बहू मीना सहरिया की अच्छे से क्लास ली। उसे समझाया कि जीवन में मां का क्या महत्व होता है। उसे बताया कि वो व्यक्ति बहुत किस्मत वाला होता है जिसके घर में मां होती है। साथ ही उसे कानूनी प्रक्रिया के बारे में भी समझाया कि वह नहीं माना तो उसे कितने दिन जेल जाना होगा। इसे बाद क्या था 10 साल की प्रताड़ना का दस मिनट में अंत हो गया। पंजाब सिंह ने अपनी गलती मानी और मां को गले लगा लिया। बेटा-बहू ने दबाए पैर, मां ने दिया आशीर्वाद SDOP घाटीगांव का जादू ऐसा चला कि बुजुर्ग आदिवासी मां के बेटा और बहू ने पूरी संपत्ति मां को सौंप दी। बेटा और बहू मां के पैर दबाने लगे। माफी मांगी कि आगे से भी ऊंची आवाज में भी बात नहीं करेंेगे। मां ने भी दोनों के सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद दिया। काशी सहरिया ने बेटा-बहू से ज्यादा आशीर्वाद SDOP घाटीगांव संतोष पटेल को दिया। बुजुर्ग महिला ने SDOP के सिर पर हाथ रखकर कहा कि ऐसा बेटा सभी को दे। एक बार फिर डीएसपी ने बिना FIR और कानूनी झंझट के एक प्रकरण सुलझा दिया है। वह लगातार ऐसा करते आ रहे हैं और सोशल मीडिया पर चर्चा बने रहते हैं।
