ब्रेकिंग
PCC चीफ ने कहा, DGP का आदेश खाकी वर्दी का अपमान सांसद-विधायक को सैल्यूट करेगें पुलिस कर्मी, ये लोकतं... सीएम बोले- पाकिस्तानी नागरिकों को एमपी से जल्द बाहर करें: पुलिस अधिकारियों को अभियान चलाने के निर्दे... मंदसौर में तेज़ रफ़्तार कार कुऐ में गिरी 6 लोगों की मौत केंद्र सरकार का एक और सख्त फैसला, पाकिस्तानी हिंदुओं की चारधाम यात्रा पर रोक कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा ने अमित शाह को बताया शिव अवतार, बयान पर मचा बवाल, कांग्रेस-बीजेपी आमने-साम... केंद्र सरकार का बड़ा ऐलान: पाकिस्तानी हिन्दु , सिखो का वीजा रद्द नहीं होगा नवविवाहिता के साथ रेप कर हत्या, कमरे में निवस्त्र मिली लाश, जेठ पर आरोप कमरे में निवस्त्र मिली लाश,... पहलगाम हमले के बाद अमरनाथ यात्रा पर खतरा मंडराया, सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दाखिल मध्यप्रदेश में एक मई से होगे ट्रांसफर मुख्यमंत्री ने शिक्षण सत्र खत्म होने के बाद बताया तबादलों का क... लखनऊ में भीषण आग, 65 झोपडिय़ां जलीं, रुक-रुककर फटते रहे सिलेंडर, 6 घंटे में काबू पाया
मुख्य समाचार

न जाने कितने मुखौटों में जिंदगी तू है

आदमी एक ऐसा कंप्यूटर है जिसे हर बात का पूर्वाभास हो जाता है .हमारे एक मित्र थे प्रदीप चौबे. बड़े हास्य कवि थे .आज जिस कोविड और इन्फ्लूएन्जा से पूरी दुनिआ परेशान है ,उसे लेकर उन्होंने कोई तीन दशक पहले एक गजल लिख दी थी .उसी गजल का एक शेर थाकभी जुकाम,कभी पील्या कभी फ्ल्यू हैन जाने कितने मुखौटों में जिंदगी तू हैयकीनन जिंदगी के हर मुखौटे को जान पाना कठिन काम है ,अन्यथा दुनिया को हंसाने वाले सतीश कौशिक जैसे कलाकार हँसते-खेलते सबको रुलाकर न चले जाते .सवाल जिंदगी का है. जिंदगी अब पहले की तरह आसान नहीं रही. मुश्किलें बढ़ती ही जा रहीं हैं.ये मुश्किलें इंसान खुद बढ़ा रहा है ,या ये अपने आप बढ़ रहीं हैं,ये तय करने वाला भी इंसान है ,लेकिन यही काम इंसान से नहीं होता .जानलेवा कोविड के बाद अब देश एच3एन2 नाम के मौसमी इन्फ्लुएंजा की चपेट में है. सरकार को मरीजों की बढ़ती संख्या देखकर इसके लिए भी एक 'एडवायजरी' जारी करना पड़ी है. यनि की अब जिंदगी अपने ढंग से नहीं बल्कि डाक्टरों और सरकारों द्वारा जारी 'एडवायजरी' के हिसाब से जीना पड़ेगी ? हालात ही ऐसे हैं की आपको सरकार की बात मानना ही पड़ेगी,क्योंकि सरकार आखिर कितना इंतजाम कर सकती है इलाज का ? कोविड के समय सराकरें नाकाम हो गयीं .कोविड के लिए खोजे गए टीके बनाने और खपाने में कितना बड़ा घोटाला हुआ ये कोई नहीं जानता ,किन्तु सबको पता है की पानी नाक तक आ गया था .कहने को एच 3 एन 2 एक समान्य मौसमी फ्ल्यू है ,लेकिन जिस ढंग से ये फ़ैल रहा है उसे देखते हुए एहतियात बरतना जरूरी है .देश में एच3 एन2 इन्फ्लूएंजा के मरीज निरंतर मिलते रहे हैं। इस बार इसके मरीजों की संख्या बढ़ने की आशंका है। इसे देखते हुए अस्पतालों में दवाएं एवं बेड की व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है। खास तौर से गंभीर बीमारी से ग्रसित एवं बच्चों को लेकर विशेष सावधानी बरती जा रही है।मंत्रालय से जारी निर्देश के तहत प्रदेश में भी स्वास्थ्य महानिदेशालय ने सभी मुख्य चिकित्साधिकारियों एवं अधीक्षकों को दवाओं के पर्याप्त इंतजाम, सांस रोग के इलाज से जुड़े उपकरण, इंटेसिव केयर यूनिट की व्यवस्था दुरुस्त रखने के निर्देश जारी कर दिए हैं। आपको बता दूँ कि इस वायरस ने पहली बार 1968 में महामारी का रूप लिया था.उस समय दुनिया में कोई एक लाख लोग मारे गए थे .सबसे ज्यादा 1969 मरीज हांगकांग में मारे गए थे .मजे की बात ये है की इस फ्ल्यू को स्वाइन फ्ल्यू खा जाता है .इसके लक्षण भी कोविड जैसे ही हैं.वही तेज बुखार,नाक का बहना और खुल्ल -खुल्ल खांसी .ऐसे रोग जब महामारी की तरह फैलते हैं तो सरकारी अस्पतालों के इंतजामों की पोल खुल जाती है और निजी अस्पताल वालों की चांदी हो जाती है .भगवान का रूप माने जाने वाला डाक्टर शैतान बन जाता है .उसे मरीज के साथ ज्यादा मेहनत नहीं करना पड़ती .दवाओं की एक फेहरिस्त हमेशा तैयार रहती है. दवाएं भी निजी चिकित्स्क के घर के एक हिस्से में खुले मेडिकल स्टोर पर मिलती हैं ,वे भी मनमाने दामों पर .देश ने कोविड के दुसरे दौर में मौत का भयावह रूप देखा है,इसलिए हर आदमी भयभीत्त है .डाक्टर भी के इस भूत को दूर भगाने के बजाय उसे और बड़ा कर देते हैं .सरकार को इस बारे में भी एडवायजरी जारी करना चाहिए .दवाओं का वितरण और कीमतों पर नियंत्रण करने की भी कोई व्यवस्था होना चाहिए ,लेकिन ये असम्भव लगता है ,क्योंकि सरकार को तो संसद में भी झूठ बोलने में शर्म नहीं आती .पिछली बार सर्कार ने संसद में कहा था की देश में ऑक्सीजन की कमी से एक भी कोविड मरीज नहीं मरा जबकि भारत में कोविड से 06 लाख से ज्यादा मौतें हुई थीं .ये आंकड़े भी अपुष्ट और विवादास्पद हैं .जैसा कि मैंने कहा कि डाक्टर भी का भूत खड़ाकर लूटमार करते हैं जबकि ईमानदार डाक्टर बताते हैं कि एच 3 एन 2 इंफ्ल्यूऐंज़ा से घबड़ाने की नहीं बल्कि धैर्य से उसका सामना करने की जरूरत है .यह हर साल होता है और सामान्य सर्दी जुखाम की तरह खत्म हो जाती है। इसमें गले में संक्रमण होता है। ज्यादातर लोगों को बिना दवा के ठीक हो जाता है। इस बार मरीजों की संख्या अधिक है। ऐसे में वृद्धजनों एवं बच्चों को लेकर सावधानी रखी जा रही है। देश मेकोविड के दौरान किए गए इंतजाम मौजूद है। ऐसे में मरीजों के उपचार की जरूरत पड़ी तो भी कोई समस्या नहीं होगी.केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से दावा किया गया है कि हरियाणा और कर्नाटक में इन्फ्लुएंजा के एक-एक मरीजों की मौत हुई है। देश में अभी तक H3N2 के 3038 मामले सामने आए हैं। ये एक अति सामान्य आंकड़ा है ,इन आंकड़ों को लेकर भी परस्पर विरोधी दावे हैं .समबन्धित राज्यों का कहना है कि मरीज इंफ्ल्यूऐंज़ा का नहीं कैंसर का था .बहरहाल सावधानी में ही सुरक्षा है ,इस मन्त्र को याद रखिये. घर में यदि बुजुर्ग हैं तो उनका ख्याल रखिये .बच्चों का इलाज खुद मत कीजिये डाक्टरों से कराइये .सब ठीक हो जाएगा .मैंने अपने घर वालों को भी यही हिदायत दी है जो आपको दे रहा हूँ

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button