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बदलते हुए वातावरण में नई खेती की जानकारी की आशा में अन्नदाता।
(जाकिर हुसैन ) अन्नदाता किसान इस ग्लोबल वार्मिंग के समय में अपने फसल चक्र को बदलाव कर रहे हैं किंतु बदलाव से समस्याएं उत्पन्न हो रही है जमीनी स्तर पर हमारे द्वारा किसानों के साथ सतत संपर्क के कारण लोग जागरूक हुए और उन्होंने औषधि खेती की तरफ रुझान किया और करने लगे हमारे द्वारा पेपरों में न्यूज़ ,डॉक्यूमेंट फिल्में, कला मंडल के प्रचार प्रसार से तथा सरकारों ने और आला अफसरों ने औषधि खेती को सर पर उठा लिया था इन्हीं से प्रभावित होकर हितग्राही किसान गूगल, सतावर और अश्वगंधा तथा अन्य औषधि की खेती करने लगे परंतु धरातल पर किसानों को पारंपरिक फसलों से नई फसल जब तैयार करने लगे तो उसके विषय में उन्हें जानकारी नहीं है कैसे बोना है कितना बीज डालना है कब पानी देना है कब खाद देना है कब काटना है फसल को कैसे निकालना है यह जानकारी उन्हें नहीं थी किसान बड़ा परेशान होता है हम बताते हैं लोगों को परंतु हमारे सीमित संसाधनों की वजह से हम भी उन्हें पूरी तरह संतुष्ट नहीं कर पाते हैं तब वह दुखी होते हैं अब उनके सामने आ जाती है फसल तो विक्रय की समस्या पैदा हो जाती जिन कंपनियों के साथ खरीदने की बात होती है वह कंपनियां पहले कुछ और भाव बताती हैं फिर फसल में तमाम ऐब निकाल कर कम दामों में खरीद ते हैं यह बिचारे किसानों की बड़ी समस्या है इस समय किसानों को एक और समस्या यह हो गई है कि जमीन का वाटर लेवल धीरे धीरे बहुत नीचे चला गया जिसके कारण किसान भी ऐसी फसल करने के लिए मजबूर हो रहा है क्योंकि इन फसलों में पानी बहुत कम लगता है तथा मवेशी पशु भी नहीं खाते इसीलिए इस बदलते हुए समय में किसानों ने तो निर्णय सही लिया किंतु संबंधित जो विभाग हैं अधिकारी हैं वह कृपया इन किसानों की जानकारी हेतु ज्ञान वर्धन हेतु और बाजार व्यवस्था हेतु प्रशिक्षण ब्रोशर टेली फिल्म और साहित्य उपलब्ध कराएं तथा तकनीकी जानकारी भी मुहैया कराऐ और इन फसलों के और आगे बढ़ाने के लिए वित्तीय सहयोग भी करें ताकि आगामी समय में यह सफलतापूर्वक अपनी फसलों को लगा सके और निकाल सके व बेच सकै इस बदलते हुए मौसम में ग्लोबल वार्मिंग के समय में किसानों ने तो बदलाव करने का मूड बना लिया है और करने लगे हैं मजबूरी बस ,किंतु जिम्मेदार विभाग अधिकारी शासन प्रशासन को सिर्फ बातों से काम नहीं चलाना चाहिए धरातल पर कुछ करने की आवश्यकता महसूस होती है धन्यवाद
