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श्रीकृष्ण ने कालिया नाग का मर्दन किया,गोवर्धन पर्वत को उठाया उंगली पर, विजयानंदपुरम शेखपुर में भागवत महापुराण की कथा के दौरान विश्व कल्याण की भावना से यज्ञ भगवान को आहुतियां समर्थित की जा रही है।

(संवाददाता )जौरा कालिया नाग का वध श्री कृष्ण की प्रचलित बाल लीलाओं में से एक है एक बार श्री कृष्ण अपने मित्रों के साथ यमुना नदी के किनारे गेंद से खेल रहे थे। अचानक गेंद यमुना नदी में चली गई और बाल गोपाल के सारे मित्रों ने मिलकर उन्हें नदी से गेंद लाने को भेज दिया। बाल गोपाल भी एकदम से कदंब के पेड़ पर चढ़कर यमुना में कूद गए वहां उन्हें कालिया नाग मिला श्री कृष्ण ने जहरीले कालिया नाग का वध कर दिया। ग्राम शेखपुर के विजयानंद महाराज परिसर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन शुक्रवार को कथा व्यास आचार्य शत्रुघ्न बालोठिय ने श्री कृष्ण बाल लीला,कालिया मर्दन गोवर्धन पूजा,गोपियां रासलीला का वर्णन किया। भगवान की लीलाएं मानव जीवन के लिए प्रेरणादायक हैं।भगवान कृष्ण बचपन में अनेक लीलाएं की भगवान कृष्ण सभी का मन मोह लिया करते थे। नटखट स्वभाव के चलते यशोदा मां के पास उनकी हर रोज शिकायत आती थी। मां कहती थी की तुम रोज माखन चुरा कर खाया करते हो , तो श्री कृष्ण तुरंत अपना मुंह खोलकर दिखा दिया करते थे की मइया मेरी मैं नहीं माखन खायो । जितना यशोदा मैया और नंदलाला उनके नटखट अंदाज से परेशान थे उतना ही वहां के गांव वाले भी । कृष्ण जी अपने मित्रों के साथ मिलकर गांव वालों का माखन चुराकर खा जाते थे । जिसके बाद गांव वाले उनकी शिकायत मैया यशोदा के पास लेकर पहुंच जाते थे ,इस वजह से उन्हें अपनी मैया से डांट भी खानी पढ़ती थी। कथा व्यास ने गोवर्धन पर्वत की कहानी सुनाते हुए कहा कि इस कहानी से भी हर कोई परिचित है जो कि उनकी प्रचलित इलाकों में से एक है। कार्तिक मास में ब्रजवासी भगवान इंद्र को प्रसन्न करने के लिए पूजन का कार्यक्रम करने की तैयारी करते हैं। भगवान कृष्ण द्वारा उनको भगवान इंद्र की पूजन करने से मना करते हुए गोवर्धन महाराज की पूजन करने की बात कहते हैं इंद्र भगवान उन बातों को सुनकर क्रोधित हो जाते हैं वह अपने क्रोध से भारी वर्षा करते हैं जिसको देखकर समस्त ब्रजवासी परेशान हो जाते हैं ।भारी वर्षा को देख भगवान श्री कृष्ण गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा उंगली पर उठाकर पूरे नगर वासियों को पर्वत के नीचे बुला लेते हैं। जिससे हारकर इंद्र 1 सप्ताह के बाद बारिश को बंद कर देते हैं । जिसके बाद ब्रज में भगवान श्री कृष्ण और गोवर्धन महाराज के जयकारे लगने लगते हैं। कथा प्रारंभ होने से पूर्व विश्व कल्याण की भावना से यज्ञ भगवान को अहुतिया समर्पित की जा रही

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