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मुरैना गल्ला मंडी में हम्मलो(तुलावटियों) की हड़ताल जारी |

मुरैना गल्ला मंडी में हम्मलो(तुलावटियों) की हड़ताल जारी है। बीते दिन मंडी प्रशासन व व्यापारियों के साथ हम्मालों की बैठक हुई, लेकिन वह बेनतीजा साबित हुई। हम्माल 25 रुपए प्रति बोरी हम्माली की मांग को लेकर अड़े रहे तथा बाद में 17 रुपए आखिरी विकल्प देकर उठ खड़े हुए। वहीं दूसरी तरफ मंडी प्रशासन ने दो टूक शब्दों में कह दिया की हम किसानों के साथ अन्याय नहीं होने देंगे, किसान इतनी हम्माली नहीं देगा। लिहाजा BOT सिस्टम लागू रहेगा। साथ ही इस बात का भी अल्टीमेटम दे दिया है कि अगर हम्माल अपनी जिद पर अड़े रहे तो उनका लायसेंस निरस्त कर लायसेंस की लाइन में लगे दूसरे हम्मालों को मौका दिया जाएगा। इस मामले में खास बात यह रही कि व्यापारियों की दरियादिली सामने आई है। व्यापारियों ने बैठक में स्पष्ट कर दिया कि बीओटी सिस्टम के तहत जब किसान की उपज उसके मील या गोदाम पर जाएगी तो वहां किसान से फसल की उतराई नहीं ली जाएगी क्योंकि वहां लगे उनके हम्मालों को वे हम्माली पहले से ही दे रहे हैं। इस बात से किसानों को सीधा यह फायदा हो गया कि उन्हें हम्माली बिल्कुल नहीं देना होगी, जो अभी तक वे देते आ रहे थे। हड़ताल पर हम्माल हड़ताल पर हम्माल पूरे अंचल में नहीं इतनी अधिक मजदूरी मंडी प्रशासन का कहना है कि पूरे ग्वालियर-चंबल संभाग की किसी भी मंडी में प्रति बोरा इतनी अधिक तुलावटी दर नहीं है जितनी कि यह लोग मांग कर रहे है, लिहाजा इनकी मांग बेबुनियाद है। वहीं दूसरी तरफ हम्मालों का कहना है कि उनकी मांग जायज है और अगर मां नहीं मानी जाती है तो वे हड़ताल पर रहेंगे। निरस्त किए जाएंगे लायसेंस मंडी प्रशासन ने इस बात को भी स्पष्ट कर दिया है कि मौजूदा बीओटी सिस्टम अल्पकालीन व्यवस्था है। यह मजबूरी में शुरु की गई है। थोड़े दिनों तक और हम्मालों की हड़ताल को देखते हैं, अगर जल्द से जल्द हड़ताल समाप्त नहीं की गई तो उनके लायसेंस निरस्त कर दिए जाएंगे साथ ही लायसेंस लेने के लिए जो लोग लाइन में लगे हैं उनके लायसेंस बनाकर उन्हें मौका दिया जाएगा। यह है BOT सिस्टम बीओटी सिस्टम के तहत मंडी में लगे धर्मकांटे पर किसान की फसल तोली जा रही है और उसे सीधा संबंधित व्यापारी के मील या गोदाम पर भेजा जा रहा है। जहां व्यापारी के हम्माल पूरी उपज उतारकर मील में जमा करेंगे। इससे किसानों को सिर्फ इतनी परेशानी है कि उन्हें व्यापारी के मील तक उपज ले भर जानी है। इसका फायदा भी किसानों को यह है कि उनसे जो हम्माली पहले लगती थी वह नहीं लगेगी और कम तोल की कोई शिकायत नहीं आएगी।

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