मुख्य समाचार
मध्यप्रदेश विधानसभा उपचुनाव के लिए कांग्रेस प्रत्याशी चयन में नहीं चलेगा दिग्गजों का ‘मेरा-तेरा’, सबकी राय पर होगा चयन ।
भोपाल। नवंबर-दिसंबर में प्रस्तावित मध्य प्रदेश की बुधनी और विजयपुर विधानसभा सीट के उपचुनाव के लिए कांग्रेस प्रत्याशी चयन में जुटी है। इसमें मेरा-तेरा नहीं चलेगा यानी नेता विशेष की पसंद के आधार पर टिकट नहीं दिया जाएगा। इसके लिए गठित चयन समितियां दशहरा के बाद दोनों निर्वाचन क्षेत्रों में पहुंचेंगी। जिला से लेकर बूथ तक के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से रायशुमारी होगी। इसमें जो नाम सामने आएंगे, उनका प्रस्ताव केंद्रीय चुनाव समिति को भेज दिया जाएगा। दरअसल, प्रत्याशी चयन को लेकर यह आरोप लगते रहे हैं कि बड़े नेताओं ने अपनी पसंद के व्यक्ति को टिकट दिला दिया, जबकि उससे योग्य उपलब्ध थे। इस स्थिति से बचने के लिए प्रदेश कांग्रेस फूंक-फूंककर कदम रख रही है। विधानसभा चुनाव के दौरान मची थी रार प्रदेश में वर्ष 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी चयन को लेकर कई प्रश्न उठे थे। तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ के आवास और प्रदेश कांग्रेस कार्यालय के बाहर प्रदर्शन हुए। भाई-भतीजावाद चलाने का आरोप लगाते हुए कई नेताओं ने पार्टी छोड़ी, जिसका नुकसान विधानसभा और लोकसभा चुनाव में पार्टी को उठाना पड़ा। इंदौर संसदीय क्षेत्र के अनधिकृत प्रत्याशी अक्षय कांति बम ने तो नामांकन वापसी के अंतिम दिन अपना वापस लेकर कांग्रेस को मैदान से ही बाहर कर दिया। इससे पार्टी की पूरे देश में किरकिरी भी हुई थी। लिहाजा, कांग्रेस पार्टी ने अब उपचुनाव के लिए प्रत्याशी का चयन करने समिति बनाई है। ये विधानसभा क्षेत्रों में जाकर अलग-अलग स्थानों पर कार्यकर्ताओं से संभावित प्रत्याशी को लेकर रायशुमारी करेगी। इसमें जो नाम सामने आएंगे, उसके आधार प्रदेश कांग्रेस द्वारा केंद्रीय चुनाव समिति को प्रस्ताव भेजा जाएगा। प्रयास यही है कि प्रत्येक सीट के लिए एक ही नाम पर सहमति बने, ताकि सब एकजुटता के साथ काम करें। बूथ के कार्यकर्ता चुनेंगे प्रत्याशी प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता विवेक त्रिपाठी का कहना है कि प्रत्याशी चयन में किसी एक की पसंद नहीं चलेगी। बूथ के कार्यकर्ता जो नाम बताएंगे, उसे चयन समिति प्रदेश कांग्रेस को बताएगी। यही नाम केंद्रीय चुनाव समिति को भेजे जाएंगे और फिर इनमें से ही अंतिम निर्णय होगा। पार्टी ने पूरी प्रक्रिया पारदर्शी रखी है। पदाधिकारी और कार्यकर्ता अपनी बात समिति के सामने रखने के लिए स्वतंत्र हैं।
