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कांग्रेस से बेहतर उम्मीदवार होंगे रमेश गर्ग
मुरैना (श्रीगोपाल गुप्ता) आसन्न लोकसभा चुनाव 2024 को देखते हुये भारतीय जनता पार्टी ने चम्बल की मुरैना-श्योपुर लोकसभा सीट पर अपना पत्ता खोलते हुये दिमनी से 2008 में विधायक रहे शिवमंगल सिंह तोमर को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है, वहीं कांग्रेस अपने पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के इर्द-गिर्द झूल रही है? हालांकि क्यास लगाये जा रहे हैं कि भाजपा की सूची को देखते हुये कांग्रेस की सूची भी कभी भी जारी हो सकती है? कह सकते हैं कि आजकल- आजकल पर मामला डटा हुआ है. चम्बल में 44 साल बाद ये कांग्रेस का ये पहला लोकसभा चुनाव होगा जो सिंधिया पिता-पुत्र (स्वर्गीय माधवराव व ज्योतिरादित्य)के बिना लड़ेगी. 44 साल में हुये कुल 11 चुनावों में मात्र दो दफा मुरैना-श्योपुर सीट पर चुनाव जीतने और 9 दफा मुंह की खाने के बाद अब कांग्रेस के लिये चुनाव किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है. सिंधिया के बाद अब ये चुनाव होगा वो विशुद्ध कांग्रेस और भाजपा के बीच होगा क्योंकि सिंधिया कांग्रेस कांग्रेस को मुक्त कर भाजपा में विलय हो चुकी है. ये पहली बार है कि सिंधिया के भाजपा में पलायन करने बाद कांग्रेस में उम्मीदवारों की लम्बी फेहरिस्त है जबकि 44 वर्षों में उम्मीदवारों के एक-दो नाम ही उभर कर सामने आते थे.बताया जा रहा है कि लम्बी फेहरिस्त के कारण ही उम्मीदवार चयन में मप्र कांग्रेस को बिलंब हो रहा है. यूं तो कई कद्दावर प्रत्याशियों के नाम कांग्रेस की सूची में हैं मगर इसमें एक नाम खास और दमदार नाम भी है जो सूची में अलग ही महत्वपूर्ण स्थान रखता है और कांग्रेस को जिताने का माद्दा रखता है. वह नाम है प्रसिद्ध उधौगपति,समाज सेवक,कुशल संगठक चम्बल का जाना-पहचाना चेहरा व अखिल भारतीय अग्रवाल समाज के पूर्व राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष रमेश चंद्र गर्ग का जो वर्षों भाजपा में रहकर उसे(भाजपा)को लोकसभा व विधानसभा चुनाव जिताते आये हैं और इस दफा कांग्रेस से ताल ठोककर टिकट का दावा कर रहे हैं. सन् 1996 के बाद से लेकर पिछले 2019 के लोकसभा चुनाव तक एक अदद जीत के लिये तरस रही कांग्रेस के लिये रमेश चंद्र गर्ग किसी जड़ीबूटी तरह साबित हो सकते हैं. चूंकि ग्वालियर चम्बल संभाग के बड़े उधौग केएस आॅयल्स के चेयरमेन होने के कारण व्यापार जगत में उनका स्थान अद्वतिय है. सरसों के तेल बड़े व्यापारी होने के कारण मुरैना-श्योपुर लोकसभा क्षेत्र के श्योपुर से मुरैना जिले के बुधारा घाट तक वे किसानों,मजदुरों और व्यापारियों में जीवंत परिचय रखते हुये उनके बीच में रहते हैं. वे एक कुशल संगठक भी हैं श्योपुर से मुरैना जिले तक अग्रवाल समाज के सरक्षंक होने के कारण उनके पास एक आवाज पर 10-12 हजार कार्यकर्ता इक्कठा करने की कुब्बत है जो कांग्रेस के लिये संजीवनी साबित हो सकती है क्योंकि संगठन का मजबूत न होना ही कांग्रेस की सबसे बड़ी कमजोरी है जिसका दोहन दोंनो सिंधिया पिता-पुत्र ने जमकर किया. कांग्रेस के लिये रमेश गर्ग इसलिये भी बेहतर साबित हो सकते हैं क्योंकि उन्होने पिछले तीन दशकों में मुरैना-श्योपुर हुये विशाल जन आंदोंलनों का नेतृत्व किया है.चूंकि कांग्रेस इन दिनों बुरी तरह से पैसों की तंगी के दौर से गुजर रही है ऐसे रमेश गर्ग के कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतरने से चम्बलाचंल के उधौगपति पैंसो की कमी नहीं आने देंगे. जातिगण समीकरण पर भी वे खरे उतरते हैं मुरैना-श्योपुर लोकसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा दलित मतदाता हैं जिनका रुझान अब धीरे-धीरे कांग्रेस की तरफ हो रहा है ये गत विधानसभा चुनाव में साबित हो गया. स्वर्णों में पहले स्थान पर क्षत्रिय फिर ब्राह्मण मतदाता हैं तो लगभग दो लाख की संख्या के साथ वैश्य मतदाता तीसरे स्थान पर हैं.चुंकि भाजपा पहले ही शिवमंगल सिंह के तौर पर क्षत्रिय मतदाता को मैदान में उतार चुकी है, ऐसे में कांग्रेस के लिये रमेश चंद्र गर्ग बेहतर उम्मीदवार हो सकते हैं.
