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ग्वालियर

सरकार से दुःखी पेंशनर्स एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री सहित कई मंत्रियों के नाम ज्ञापन सौंपा

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                        ——–
*पेंशनर्स एसोसिएशन मध्यप्रदेश*
                        पंजी.क्र.22231/89
1.*आदरणीय नरेंद्र मोदीजी*
                   *प्रधान मंत्री*
    भारत सरकार, नई दिल्ली
2. *श्रीमती निर्मला सीतारमण*
                  *केंद्रीय वित्त मंत्री*
     भारत सरकार, नई दिल्ली
3.  *श्री अनुराग ठाकुर*
                   *केंद्रीय राज्य मंत्री*
                   वित्त विभाग
       भारत सरकार, नई दिल्ली
 4.   *मान. शिवराजसिंह*
                 *मुख्यमंत्री*
       मध्यप्रदेश, भोपाल
5.    *श्री जगदीश देवड़ाजी*
                  *वित्तमंत्री*
        मध्यप्रदेश भोपाल
6.     *मान.भूपेश बघेल*
                    *मुख्यमंत्री*
         छत्तीसगढ़ राज्य, रायपुर
*विषय*: मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़
           राज्य के बुजुर्ग पेंशनर्स के
          साथ ,वादाखिलाफी एवम
          भेदभाव किये जाने विषयक ।
          मान्यवर,
          यह तथ्य सर्वविदित व सर्वज्ञात है कि प्रदेश के जननायक कहे जाने वाले मुख्यमंत्री  व उनकी लोकप्रिय , जनहितैषी, कर्मचारी समर्थक कही जाने वाली सरकार ने,प्रदेश के पेंशनर्स व कर्मचारियों को केंद्र के समान महगाई भत्ता दिये जाने की घोषणा के अनुरूप अपने वचन का पालन न करके , कर्मचारियों/पेंशनर्स के साथ वादाखिलाफी व भेदभावपुर्ण किया है।
          विधानसभा चुनाव के पूर्व इसी मुख्यमंत्री व आपकी पार्टी ने चुनाव प्रचार एवम घोषणा पत्र में, स्थान-2 पर सभाओ व मंचो से, प्रदेश के कर्मचारियों को केंद्र के बराबर महगाई भत्ता व अन्य दीगर सुविधाओं दिये जाने की घोषणा बार -2 की थी। चुनाव के उपरांत अब वित्तीय कमी की आड़ में , प्रदेश की सरकार, अपने किये गये वादे व घोषणा से मुकर रही है,जबकि हिंदुस्तान के छत्तीसगढ़ व मध्यप्रदेश को छोड़कर अन्य राज्यो ने इसे केंद्र के समान महगाई भत्ता पूर्व में ही कर्मचारियों को  दे दिया है।
             बी.जे.पी. शासित राज्यो में मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ ही ऐसा राज्य है, जिसने कर्मचारियों/पेंशनर्स को केंद्र के समान महगाई भत्ता अब तक प्रदान नही किया  है।पिछले 15-वर्षो तक बी.जे.पी. का ही शासन प्रदेश में रहा है। मान. शिवराजसिंह ने प्रदेश की वित्तीय व्यवस्था ऐसी कैसी डांवाडोल कर डाली कि, प्रदेश के कर्मचारियों को  ड़ी. ए. देने तक के पैसे ,इस प्रदेश सरकार के पास नही है। इस हेतु  बी.जे.पी. सरकार परोक्ष रूप से जिम्मेदार नही है क्या?
         इस सरकार को विधायक की तनख्वाह बढ़ाने हेतु पैसा है,मीसाबंदी को पेंशन देने हेतु पैसा है,बडे उधोगपतियो के बिजली बिल माफ करने हेतु पैसा है, जो लोग टेक्स तक नही देते, उनको मुफ्त लूटाने हेतु पैसा है। पर कर्मचारियों/पेंशनर्स को ड़ी. ए. देने हेतु पैसा नही है।क्या अजीब तर्क है?
                *पार्टी विथ डिफरेंस* कही जाने वाली इस बी. जे.पी.सरकार को , परिवार के मुखिया, बुजुर्गो, वृद्धओ, के साथ यह सलूक करना चाहिये क्या? क्या यह उचित है? क्या यह संस्कार व संस्कृति भारतीय परम्परा व  उसकी गरिमा के अनुरूप है , जरा इस  पर विचार करे?
               प्रदेश में अभी उपचुनाव हुये, उसमे पार्टी के पराजय के कारणों पर जरा ठंडे दिमाग से सोंचे? यह रूलिंग पार्टी पूर्ण बहुमत पाने से क्यों कर वंचित हो गई। दिग्विजयसिंह सरकार के पतन के कारण क्या रहे थे, व कांग्रेस के विरोध , उसके  सफाये के क्या  महत्वपूर्ण कारक/ कारण रहे है। कही कर्मचारी विरोधी नीतियाँ तो इस हेतु जिम्मेदार तो नही थी , इस पर भी थोड़ा ठंडे दिमाग से  विचार- मंथन- विमर्श कर लिया जावे, तो यह पार्टी व राज्य सरकार के हित में ही  होगा,ऐसा मेरा मानना है।
                दिनाँक *17.12.1982* को  *मान. सर्वोच्च न्यायालय* ने *श्री डी. एस. नकरा vs भारत सरकार* के लीडिंग प्रकरण में यह निर्णय दिया था, कि जब-2 भी, केंद्र/राज्य सरकारें नियमित कर्मचारियों का ड़ी. ए. या अन्य सुविधाओं में वृद्धि करेगी, उसी दिनाँक से पेंशनर्स को भी वही लाभ दिये जावेंगे। परंतु प्रदेश में *1991* तक तो इस नियम का  पालन किया गया, पर इसके उपरांत सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को भी दरकिनार कर दिया गया। पेंशनर्स को उसका वाजिब हक, आज दिनाँक तक उन्हें  प्रदान नही किया गया  है। इसी कारण *32 व 27* माह के एरियर्स का भुगतान प्रदेश के पेंशनर्स को आज दिनाँक तक  नही मिल पाया है, जबकि नियमित कर्मचारियों को इसका लाभ पूर्णतः मिल गया है। यह देश की सबसे बड़ी अदालत (सुप्रीम कोर्ट) का अपमान/अवमानना नही है तो क्या है?
             सरकार को यह कभी नही भूलना चाहिये कि,इसी वादाखिलाफी का नतीजा है कि, यह प्रदेश सरकार इसी विधानसभा चुनाव में  बहुमत के आंकड़े को छू नही पाई है। प्रदेश के *4.67 लाख पेंशनर्स व 3.50 लाख नियमित  कर्मचारियों* व उनके परिवारों की नाराजगी व बदुआओ से सरकार को बचना चाहिए, ऐसा मेरा मानना है।
           मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ राज्य संयुक्त पेंशनर्स फेडरेशन व दोनो ही राज्यो के *16-संगठनो के प्रतिनिधि व 6.27 लाख पेंशनर्स* की ओर से, में उनका चेयरमैन होने के नाते ,यह विनम्र अपील/अनुरोध कर  यह अपेक्षा रख रहा हु कि, आपको पेंशनर्स की नाराजगी से बचना चाहिये व सर्वोच्च न्यायालय के डी. एस. नकरा के प्रकरण में दिये गये निर्णय का सम्मान करते हुये:-
*(A)* केंद्र के समान ड़ी. ए. देने का निर्देश राज्य सरकार को देना चाहिये।
*(B)* इसके साथ ही रोका गया 32 व 27 माह का एरियर्स ,जिसे राज्य के नियमित कर्मचारियों को दे दिया गया है , उसे भी जारी किया जाना चाहिये।
                   सहकार,सहयोग  की भावना ,बुजुर्गो का सम्मान व अपना सामाजिक दायित्व पूर्ण करने के अनुरोध के साथ, यह पत्र में, दुखित मन से दोनों ही राज्यो के पेंशनर्स की ओर से लिख रहा हु।आशा है,आप इस पर शीघ्र ही संज्ञान लेंगे,इसका उत्तर अवश्य देगे।
            शुभकामनाओ सहित।
                                  भवदीय
                          *(बी.के.बक्षी)*
                                *चेयरमेन*
                     म.प्र. छत्तीसगढ़ राज्य
                    संयुक्त पेंशनर्स फेडरेशन

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